हाथरस में भूमि घोटाले का बड़ा खुलासा, हिमालय इंफ्रा के निदेशक गिरफ्तार
टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (9 जनवरी 2025): हाथरस भूमि घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के बीच मिलीभगत की बात सामने आई है। पुलिस ने बुधवार को इस मामले में हिमालय इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक विवेक कुमार जैन को गिरफ्तार कर लिया। विवेक जैन को मेरठ स्थित एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। मामले की पुष्टि एडीजीसी महेंद्र सिंह ने की है।
क्या है घोटाले का इतिहास?
घोटाले की शुरुआत वर्ष 2011-12 में हुई, जब यमुना प्राधिकरण ने हाथरस में 42 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया। इस अधिग्रहण का उद्देश्य किसानों को सात प्रतिशत विकसित भूखंड प्रदान करना था। हालांकि, प्राधिकरण को केवल 5 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता थी, लेकिन वर्ष 2014 में अधिकारियों ने मिलकर मिधावली गांव में 14.4896 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि खरीद ली। यह भूमि पहले फेज के मास्टर प्लान से बाहर थी।
प्राधिकरण को हुआ भारी नुकसान
इस विवादास्पद भूमि खरीद में कुल 16.15 करोड़ रुपये खर्च किए गए और साथ ही 7.77 करोड़ रुपये का ब्याज भी चुकाना पड़ा। इस तरह यमुना प्राधिकरण को कुल मिलाकर 23.92 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जांच में यह भी सामने आया कि इस पूरे प्रकरण को एक साजिश के तहत और संगठित रूप से अंजाम दिया गया था।
एफआईआर में 29 लोग नामजद
इस घोटाले के सिलसिले में यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता, विशेष कार्याधिकारी वीपी सिंह सहित 29 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। अब तक 12 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं। इस मामले में आरोपियों ने पहले किसानों से सस्ती दरों पर भूमि खरीदी और फिर उसे यमुना प्राधिकरण को कई गुना महंगे दामों पर बेच दिया। हालात ये हैं कि इस भूमि का आज तक उपयोग नहीं किया जा सका और न ही इस पर कोई योजना बनाई गई।
विवेक कुमार जैन की गिरफ्तारी
हिमालय इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक विवेक कुमार जैन ने यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन ओएसडी वीपी सिंह के साले के साथ मिलकर कंपनी बनाई थी। पुलिस जांच अधिकारी एसीपी प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि इस कंपनी के बैनर तले ही यह विवादित भूमि खरीदी गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में कई और गिरफ्तारियां संभव हैं, क्योंकि जांच में मथुरा भूमि घोटाले में भी इन कंपनियों और अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई है।
एफआईआर में शामिल मुख्य नाम
एफआईआर में यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता, एसीईओ सतीश कुमार, ओएसडी वीपी सिंह, प्रबंधक नियोजक बृजेश कुमार, तहसीलदार अजीत परेश, लेखपाल पंकज कुमार, और कई अन्य अधिकारियों के नाम शामिल हैं। जांच रिपोर्ट के अनुसार, इन अधिकारियों ने जानबूझकर अपने रिश्तेदारों और परिचितों को फायदा पहुंचाने के लिए भूमि खरीदने की प्रक्रिया में अनियमितताएं कीं। उन्होंने किसानों से सस्ती दरों पर भूमि खरीदी और फिर उसे कई गुना महंगे दामों पर यमुना प्राधिकरण को बेच दिया।
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