थोरा गांव में ऐतिहासिक महापंचायत: भूमि अधिग्रहण पर किसानों ने उठाई आवाज

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (8 जनवरी 2025): ग्रेटर नोएडा के थोरा गांव में बुधवार को एक ऐतिहासिक महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें 14 गांवों के सैकड़ों किसानों ने भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर अपनी मांगें रखीं। किसान सभा की जिला कमेटी के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में आयोजित इस महापंचायत में नए भूमि अधिग्रहण कानून के सभी प्रावधानों को लागू करने की मांग प्रमुखता से उठाई गई।

किसानों की जेल यात्रा का खुलासा
किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ. रुपेश वर्मा ने महापंचायत को संबोधित करते हुए किसानों की संघर्ष गाथा का उल्लेख किया। उन्होंने खुलासा किया कि 6 जनवरी को मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में 25% विकसित प्लॉट देने की लैंड पुलिंग नीति और सर्किल रेट में संशोधन पर जल्द सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने बताया कि किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों के लिए 27 दिन जेल की सजा भी काटी है और नए कानूनों को लागू करवाने के लिए पूरी गंभीरता से प्रयासरत हैं।

मुआवजे में मामूली बढ़ोतरी को बताया धोखा
महापंचायत में गबरी मुखिया ने हालिया किसान आंदोलन और मुआवजे में की गई मामूली बढ़ोतरी को किसानों के साथ धोखा करार दिया। उन्होंने कहा कि कुछ प्रतिनिधियों ने इस मामूली वृद्धि का श्रेय लेने की कोशिश की है, लेकिन जागरूक किसान अब ऐसे छल को पहचानने लगे हैं।

जेवर एयरपोर्ट भूमि का मुआवजा बाजार दर के हिसाब से देने की मांग
किसान सभा के जिला सचिव अशोक भाटी ने जेवर एयरपोर्ट के आसपास की जमीन के मुआवजे का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जिस इलाके में जमीन की कीमत ₹1 लाख प्रति वर्ग मीटर से अधिक है, वहां किसानों को मुआवजा बाजार दर के अनुरूप मिलना चाहिए। जोगेंद्र प्रधान ने लैंड पुलिंग नीति के तहत 25% विकसित प्लॉट देने को सरकार और किसानों दोनों के हित में बताया। उन्होंने यह भी मांग की कि बाकी भूमि का मुआवजा सर्किल रेट के चार गुना होना चाहिए और रोजगार के बदले दी जाने वाली एकमुश्त धनराशि को बढ़ाकर ₹11 लाख किया जाए।

किसान प्रतिनिधियों की कमजोर पैरवी पर चिंता
भोजराज रावल ने किसान प्रतिनिधियों की कमजोर पैरवी पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट के पहले चरण में किसानों को पर्याप्त मुआवजा और लाभ नहीं मिला। रावल ने सुझाव दिया कि किसानों को अपनी मांगों को सीधे मुख्यमंत्री के सामने रखने के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन करना चाहिए।

इस महापंचायत ने किसानों के संघर्ष को नया आयाम दिया और उनकी एकजुटता को प्रदर्शित किया। महापंचायत के जरिए किसानों ने साफ कर दिया कि वे अपने अधिकारों और न्याय के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार हैं।


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