New Delhi News (03 November 2025): जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रसंघ चुनाव 2025 का माहौल चरम पर है। रविवार को आयोजित बहुप्रतीक्षित प्रेसिडेंशियल डिबेट में विश्वविद्यालय का सभागार छात्रों से खचाखच भरा रहा। मंच पर छह उम्मीदवार मौजूद थे, जिन्होंने अपनी बारी पर अपने विचार रखे। बहस के दौरान परिसर लोकतांत्रिक विमर्श का केंद्र बन गया, जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर तीखी बहसें हुईं।
वाम गठबंधन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), एनएसयूआई, प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन (पीएसए), दिशा स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (डीएसओ) और स्वतंत्र उम्मीदवारों ने अपने-अपने एजेंडे पेश किए। वाम गठबंधन की उम्मीदवार अदिति मिश्रा ने अपने भाषण की शुरुआत में कश्मीर, फलस्तीन, लद्दाख और सोनम वांगचुक की रिहाई जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने सत्तारूढ़ दल पर असहमति की आवाज़ों को दबाने और लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया। मिश्रा ने कहा कि “भारत की आत्मा को बचाने के लिए हमें आवाज़ उठानी होगी।”
दूसरी ओर, एबीवीपी के अध्यक्ष पद प्रत्याशी विकास पटेल ने वामपंथी राजनीति को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि “पिछले 50 वर्षों से वामपंथ ने विश्वविद्यालय को जकड़ रखा है और जेएनयू को पिछड़ेपन की ओर धकेला है।” उन्होंने वामदलों पर पाखंड का आरोप लगाते हुए कहा कि “समानता की बात करने वाले अपने संगठनों में दलितों और महिलाओं को जगह नहीं देते।” पटेल ने आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया और जेएनयू प्रशासन को वाम गठबंधन का “चौथा साझेदार” कहा।
एनएसयूआई के उम्मीदवार विकास ने एबीवीपी और वाम गठबंधन दोनों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “दोनों धड़े छात्रों के असली मुद्दों को भुला चुके हैं। छात्रवृत्ति, शोध निधि और छात्र सुरक्षा जैसे विषय गायब हैं।” इस दौरान पीएसए की शिंदे विजयलक्ष्मी व्यंकट राव ने सबसे जोशीला भाषण दिया। उन्होंने मंच पर ‘चीफ प्रॉक्टर ऑफिस’ के नियमों की प्रति फाड़ते हुए उसे “निगरानी का प्रतीक” बताया और कहा कि “कैंपस में विरोध की जगह सिकुड़ गई है।”
डिबेट के दौरान स्वतंत्र उम्मीदवार अंगद सिंह ने “दिखावटी राजनीति” पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि “जब तक छात्रों के हॉस्टल की छतें नहीं सुधरतीं, तब तक गाजा और नेपाल की चिंता बेकार है।” वहीं, दिशा स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (डीएसओ) के शिरषवा इंदु ने जलवायु परिवर्तन, शिक्षा व्यवस्था और चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम से बढ़ते दबाव जैसे मुद्दों पर ध्यान दिलाया।
इस बीच, आरजेडी के उम्मीदवार रवि राज ने बिहार के मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड का मुद्दा उठाकर बहस को भावनात्मक मोड़ दिया। उन्होंने कहा कि “जब अस्पताल में घुसकर लोगों की हत्या की जाती है, तो लोकतंत्र पर सवाल उठता है।” चुनाव में इस बार वामपंथी संगठन आइसा, एसएफआई और डीएसएफ लंबे अंतराल के बाद एकजुट होकर मैदान में हैं। उनके सामने एबीवीपी, एनएसयूआई और अन्य संगठन चुनौती पेश कर रहे हैं। 4 नवंबर को मतदान होगा और 6 नवंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे — तब तय होगा कि जेएनयू की कमान किस विचारधारा के हाथों में जाएगी।।
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