पटेल-इंदिरा को नमन, RSS पर फिर पाबंदी लगनी चाहिए: मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (31 October 2025): कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती है तथा ठीक आज ही इंदिरा गांधी का 41वाँ शहादत दिवस भी है। दोनों नेता — एक ‘आयरन मैन’ और दूसरी ‘आयरन लेडी’ — ने देश के लिए महान त्याग और प्रयास किए। खरगे ने कहा कि पटेल ने देश को एक किया और नेहरू समेत उस समय के वरिष्ठ नेताओं ने उनके योगदान की हमेशा प्रशंसा की है, जबकि इंदिरा गांधी ने देश की एकता बनाए रखने के लिए अपनी कुर्बानी दी।

खरगे ने सरदार पटेल के 4 फरवरी 1948 के पत्र का संदर्भ देते हुए बताया कि पटेल ने गांधीजी की हत्या के बाद आरएसएस और हिंदू महासभा की गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया था और तत्काल सरकार द्वारा आरएसएस के खिलाफ कदम उठाने की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि पटेल ने तत्कालीन रिपोर्टों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया था कि संघ-समूहों की गतिविधियों के कारण ही देश में वह वातावरण बना जिसके चलते गांधीजी की हत्या हुई और इसी आधार पर पटेल ने संघ पर रोक लगाने की सिफारिश की थी।

खरगे ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार इतिहास और तथ्यों को मिटाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने एनसीईआरटी की कुछ किताबों से गांधीजी, गोडसे और 2002 गुजरात दंगों से जुड़े अंश हटाए जाने को खतरनाक बताया और कहा कि यह सच को दबाने का प्रयास है, जिसे वे स्वीकार नहीं करते। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पटेल ने 1964 की नियमावली में सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक संगठनों (जैसे आरएसएस) से जुड़ने से रोकने का प्रावधान कराया था, जिसे अब 9 जुलाई 2024 को मोदी सरकार ने हटाकर 58 वर्ष पुरानी पाबंदी समाप्त कर दी — और यह कदम देश के हित में सही नहीं है।

खरगे ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी व्यक्तिगत राय में आरएसएस पर पुनः प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि जो संगठन देश की एकता और शांति को हिला रहे हैं, उनके खिलाफ कदम उठाना आवश्यक है और जिसने यह प्रतिबंध हटाया उसने गलत किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अब ऐसी गतिविधियों के परिणामों के लिए वही लोग जिम्मेदार होंगे जिन्होंने इसे जीवित किया।

नेहरू-पटेल के संबंधों पर उठ रही बहस पर भी खरगे ने जोर देकर कहा कि नेहरू और पटेल के बीच वैचारिक समझ और पारस्परिक सम्मान था — नेहरू ने पटेल को ‘भारत की एकता का शिल्पी’ कहा और पटेल ने नेहरू को ‘देश के आदर्श और जनता के नेता’ कहा। उन्होंने कांग्रेस के कराची अधिवेशन और पटेल द्वारा मौलिक अधिकारों पर किए गए योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि इन महान नेताओं के बीच फूट दिखाने का प्रयास बेबुनियाद है।

खरगे ने मोदी सरकार पर भी तीखे शब्दों में हमला किया — कहा कि प्रधानमंत्री अक्सर अपने कार्यों का पूरा श्रेय स्वयं ले लेते हैं और ऐतिहासिक उपलब्धियों का एकतरफा दावा करते हैं। उन्होंने सरदार सरोवर बांध का उदाहरण देते हुए बताया कि इसके नींव और निर्माण में भी कांग्रेस का योगदान रहा, और यह याद रखने योग्य है कि देश किसी एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं चलता।

ब्यूरोक्रेसी और लोकतांत्रिक संस्थानों के रंग-ढंग बदल जाने की चर्चा पर खरगे ने कहा कि यदि देश की संस्थाएँ उसी विचारधारा में रंग दी गईं जिनके खिलाफ पटेल थे, तो यह खतरनाक है। उन्होंने कहा कि देश में जो कानून-व्यवस्था और सामंजस्य बिगड़ रहा है, उसमें बीजेपी और आरएसएस की भूमिका है और इसलिए कड़े कदम जरूरी हैं। अपनी बात को प्रभावशाली बनाने के लिए उन्होंने एक उदाहरणात्मक तर्ज पर कहा — सांप के विष की तरह कुछ विचार भी जहरीले होते हैं जिन्हें चखने की बजाय मारना चाहिए।

अंत में खरगे ने भाजपा से कहा कि इतिहास मिटाने का प्रयास बंद करे और वल्लभभाई पटेल तथा पंडित नेहरू जैसे नेताओं के संयुक्त योगदान का सम्मान करे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा देश के हित को सर्वोपरि रखा है और यही उसके कृतित्व का सार है।


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