हर तीसरा स्मार्टफोन EMI पर, बढ़ रहे हैं लोन डिफॉल्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

National News (31 अक्टूबर 2025): भारत में स्मार्टफोन खरीदने का चलन तेजी से बदल रहा है। अब हर तीन में से एक स्मार्टफोन किस्तों (EMI) पर खरीदा जा रहा है। यह रुझान विशेष रूप से युवाओं में तेजी से बढ़ा है, क्योंकि महंगे स्मार्टफोनों की कीमत चुकाने के लिए EMI को सबसे आसान और सुलभ विकल्प माना जा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 33 प्रतिशत स्मार्टफोन खरीद अब फाइनेंसिंग योजनाओं के तहत हो रही है। मोबाइल कंपनियां और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म “नो-कॉस्ट EMI” और “बाय नाउ पे लेटर” जैसी आकर्षक योजनाओं के माध्यम से उपभोक्ताओं को लुभा रहे हैं।

हालांकि, इस बढ़ते रुझान के साथ अब किस्तें न चुकाने यानी EMI डिफॉल्ट के मामले भी चिंताजनक रूप से बढ़ने लगे हैं। हालिया रिपोर्ट बताती है कि मोबाइल फोन लोन में डिफॉल्ट रेट 2.7% से बढ़कर 2.9% तक पहुंच गया है, जबकि सामान्य स्थिति में इसे 2% तक सुरक्षित माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि सबसे अधिक डिफॉल्ट ₹10,000 से कम कीमत वाले सस्ते फोनों के सेगमेंट में देखने को मिल रहे हैं, जबकि ₹50,000 से अधिक कीमत वाले प्रीमियम स्मार्टफोनों में भुगतान चूक की संभावना अपेक्षाकृत कम है।

CRIF High Mark की रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता टिकाऊ ऋण (Consumer Durable Loans) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2025 में काफी धीमी रही है। जहां पिछले वर्षों में इन लोन का मूल्य लगभग 18% की दर से बढ़ रहा था, वहीं अब यह घटकर मात्र 3.3% रह गया है। हालांकि लोन की संख्या में 11% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो दर्शाता है कि लोग अब छोटे मूल्य के उत्पादों पर अधिक ऋण ले रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 31 से 90 दिन तक बकाया लोन (Portfolio at Risk) FY25 में 1.2% से बढ़कर 1.3% हो गया है, जबकि 180 दिनों से अधिक बकाया लोन (Long-term default) 1.9% से बढ़कर 2.1% तक पहुंच गया है।

बढ़ते EMI डिफॉल्ट मामलों को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अब इस स्थिति पर नियंत्रण के लिए नए कदम उठाने की तैयारी में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, RBI एक ऐसे सिस्टम पर विचार कर रहा है जिसके तहत अगर कोई ग्राहक EMI चुकाने में असफल रहता है, तो उसका स्मार्टफोन रिमोटली लॉक किया जा सकेगा। इस कदम से बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को छोटे लोन की वसूली में मदद मिलेगी और ग्राहकों पर समय पर भुगतान करने का दबाव बनेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि EMI योजनाओं ने जहां तकनीक को आम लोगों की पहुंच में आसान बनाया है, वहीं कम आय वर्ग और पहली बार EMI लेने वाले ग्राहकों में भुगतान की चूक बढ़ने लगी है। लगातार बढ़ती स्मार्टफोन कीमतों के कारण फाइनेंसिंग का दबाव और जोखिम दोनों बढ़ रहे हैं।

भारत में स्मार्टफोन EMI बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है, लेकिन इसके साथ लोन डिफॉल्ट दर में भी इज़ाफा हो रहा है। अगर स्थिति पर जल्द नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले समय में बैंक और फाइनेंस कंपनियां कड़ी शर्तें और कठोर वसूली नीतियां लागू कर सकती हैं। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि EMI पर फोन खरीदने वाले ग्राहकों को अब न केवल समय पर किस्तें चुकाने में सावधानी बरतनी होगी, बल्कि यह भी ध्यान रखना होगा कि एक बार का डिफॉल्ट उनकी क्रेडिट हिस्ट्री को खराब कर सकता है और भविष्य में किसी भी तरह का लोन लेना उनके लिए मुश्किल बना सकता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख / न्यूज आर्टिकल सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी और प्रतिष्ठित / विश्वस्त मीडिया स्रोतों से मिली जानकारी पर आधारित है।यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। पाठक कृपया स्वयं इस की जांच कर सूचनाओं का उपयोग करे ॥


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