बिहार विधानसभा चुनाव: 9 सीटों पर महागठबंधन आमने – सामने

टेन न्यूज़ नेटवर्क

Bihar Election News (18 October 2025): बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया शुक्रवार को समाप्त हो गई, किंतु महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर चल रही खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है। नामांकन की अंतिम तिथि बीत जाने के बावजूद घटक दलों के बीच औपचारिक सहमति नहीं बन सकी, जिसके कारण कई विधानसभा क्षेत्रों में सहयोगी दलों के उम्मीदवार एक-दूसरे के विरुद्ध मैदान में उतर आए हैं। इस स्थिति ने गठबंधन के भीतर “दोस्ताना संघर्ष” का दृश्य प्रस्तुत कर दिया है, जिससे कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भी असमंजस की स्थिति बन गई है।

सबसे प्रमुख टकराव वारसलीगंज विधानसभा सीट पर देखने को मिला है, जहां राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बाहुबली अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनीता को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं दूसरी ओर, उसी सीट से कांग्रेस ने पहले ही सतीश कुमार को उम्मीदवार बनाया हुआ था। परिणामस्वरूप, इस क्षेत्र में महागठबंधन के दो प्रमुख दल आमने-सामने आ गए हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह टकराव महागठबंधन की अंदरूनी रणनीतिक कमजोरी को उजागर करता है और इसका सीधा असर इस क्षेत्र के मतदाताओं पर पड़ सकता है।

इसके अतिरिक्त, आठ अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी सहयोगी दलों के बीच सीधी भिड़ंत देखने को मिल रही है। इनमें वैशाली, तारापुर, बछवाड़ा, गौरा बौराम, लालगंज, कहलगांव, रोसड़ा और राजापाकड़ शामिल हैं। इन सभी सीटों पर कांग्रेस, राजद, वीआईपी और सीपीआई जैसे घटक दल एक-दूसरे के प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में हैं, जिससे चुनावी समीकरण जटिल हो गए हैं।

वैशाली में राजद के अजय कुशवाहा और कांग्रेस के संजीव कुमार, तारापुर में राजद के अरुण शाह और वीआईपी के सकलदेव बिंद, जबकि बछवाड़ा में सीपीआई के अवधेश राय और कांग्रेस के गरीब दास के बीच सीधा मुकाबला बन गया है। इसी प्रकार, गौरा बौराम में राजद के अफजल अली और वीआईपी के संतोष सहनी, लालगंज में राजद की शिवानी शुक्ला और कांग्रेस के आदित्य राजा, कहलगांव में राजद के रजनीश यादव और कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा भी आमने-सामने हैं।

वहीं, रोसड़ा में सीपीआई के लक्ष्मण पासवान का मुकाबला कांग्रेस के बी.के. रवि से है, और राजापाकड़ में सीपीआई के मोहित पासवान बनाम कांग्रेस की प्रतिमा दास के बीच संघर्ष देखने को मिलेगा। इन आठ सीटों में से पांच पर राजद और कांग्रेस के उम्मीदवार भिड़ रहे हैं, जबकि तीन सीटों पर कांग्रेस और सीपीआई के बीच प्रत्यक्ष मुकाबला होगा। यह स्थिति गठबंधन की चुनावी एकजुटता पर प्रश्नचिह्न लगाती है।

ऐसे “दोस्ताना संघर्ष” महागठबंधन के लिए नुकसानदेह सिद्ध हो सकते हैं, क्योंकि मतों का बिखराव निश्चित रूप से विरोधी दलों के लिए लाभकारी साबित होगा। यदि महागठबंधन जल्द ही एक स्पष्ट रणनीति तय नहीं करता, तो पहले चरण के चुनाव में यह असंतुलन उनके प्रदर्शन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। वहीं, भाजपा-जदयू गठबंधन इस आंतरिक कलह को अपने पक्ष में भुनाने की तैयारी में जुट गया है।।


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