NDA में सीट बंटवारे से JDU में मायूसी, पप्पू यादव बोले– “नीतीश को हटाने का मिशन पूरा हुआ”
रंजन अभिषेक ,संवाददाता, टेन न्यूज नेटवर्क
Bihar News (13 October 2025): बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सीटों की घोषणा होते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सीट बंटवारे के तुरंत बाद पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और खुद को कांग्रेस का एसोसिएट मेंबर बताने वाले पप्पू यादव ने X पर लिखा, “संजय झा ने आज अपना मिशन पूरा कर लिया, नीतीश कुमार जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने हेतु मजबूर करने का षड्यंत्र पूरा।”
पप्पू यादव का इशारा था कि नीतीश कुमार की गिरती सेहत और निष्क्रियता का लाभ उठाकर जेडीयू (JDU) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने NDA बैठक में पार्टी के हितों से समझौता कर लिया। बिहार की राजनीति में चर्चा है कि जेडीयू के कुछ शीर्ष नेता बीजेपी के नजदीक हैं, और उन्हीं के कारण जेडीयू को इस बार बराबर सीटों पर मानना पड़ा।
हालांकि पप्पू यादव का यह बयान विरोधी राजनीति के तहत दिया गया हो सकता है, लेकिन यह सच है कि 12 अक्टूबर को सीट बंटवारे की घोषणा के बाद जेडीयू खेमे में हल्की उदासी देखी गई। सीट बंटवारे में जेडीयू और बीजेपी को बराबर—101-101 सीटें दी गईं। पहली बार ऐसा हुआ कि NDA में जेडीयू “बड़े भाई” की भूमिका से बाहर हो गई।
2005 से अब तक जब भी जेडीयू NDA में रही है, उसे बीजेपी से अधिक सीटें मिलती रही हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू को 141 और बीजेपी को 102 सीटें मिली थीं। यहां तक कि 2020 में जब जेडीयू कमजोर पड़ी थी, तब भी उसे 115 सीटें दी गईं, जबकि बीजेपी को 110। इस बार बराबरी के आंकड़े ने जेडीयू की “मनोवैज्ञानिक बढ़त” खत्म कर दी है।
जेडीयू के कई नेताओं से जब इस फैसले पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो किसी ने भी खुलकर बोलने से परहेज किया। नेताओं के चेहरे पर उदासी साफ झलक रही थी, जैसे उन्हें उम्मीद ही न रही हो कि पार्टी को इतने कम या बराबर सीटों पर समझौता करना पड़ेगा।
इस बदलाव की शुरुआत दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव से हुई थी, जब पहली बार बीजेपी ने जेडीयू से एक सीट अधिक पर चुनाव लड़ा। इससे पहले लोकसभा चुनावों में हमेशा जेडीयू को बढ़त रहती थी
2004: जेडीयू 24, बीजेपी 16
2009: जेडीयू 25, बीजेपी 15
2014: दोनों अलग-अलग लड़े
2019: जेडीयू 17, बीजेपी 17
2024: जेडीयू 16, बीजेपी 17
तब यह कहा गया था कि भले ही लोकसभा में बीजेपी बड़ी दिख रही हो, विधानसभा में “बड़े भाई” की भूमिका जेडीयू निभाती रहेगी। लेकिन इस बार की घोषणा ने वह परंपरा तोड़ दी।
बीजेपी की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि सीट बंटवारा पूरी तरह 2024 लोकसभा परिणामों के आधार पर हुआ है। दोनों दलों को समान सीटें मिलने की यही वजह बताई जा रही है। वहीं, लोजपा (रामविलास) को पांच लोकसभा सीटें मिलने के अनुपात में 29 विधानसभा सीटें दी गई हैं। ‘हम’ को एक सीट के एवज में छह और उपेंद्र कुशवाहा को भी छह सीटें मिली हैं। कुशवाहा के मामले में कहा गया कि उनकी पिछली हार में अंदरूनी भितरघात की भूमिका थी।
इस बंटवारे में सबसे ज्यादा खुश शायद चिराग पासवान हैं। लंबे समय से चल रहे मतभेदों और मोल-भाव के बाद उन्हें अपेक्षा से अधिक—29 सीटें—मिल गईं। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि NDA के आंतरिक सर्वे में यह पाया गया कि पासवान मतदाता अब मजबूती से चिराग के साथ खड़ा है, इसी कारण उन्हें इतनी सीटें मिलीं। इससे उनकी सौदेबाजी की ताकत भी सामने आई है।
इस तरह बिहार की राजनीति में सीट बंटवारे ने नया समीकरण खड़ा कर दिया है—जहां NDA में बराबरी की हिस्सेदारी ने नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं चिराग पासवान NDA के नए “पावर प्लेयर” के रूप में उभरे हैं।
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