भारत में टोल कलेक्शन में उछाल: वित्तीय वर्ष 2024-25 में 70,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (4 जनवरी 2025): भारत में टोल कलेक्शन में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में टोल कलेक्शन 70,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। आंकड़ों के मुताबिक, 1 जनवरी 2024 से 22 दिसंबर 2024 तक देश में कुल 68,037.60 करोड़ रुपये का टोल वसूला गया। इस अवधि के दौरान औसत दैनिक टोल कलेक्शन 191.14 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।

सड़क नेटवर्क के तेजी से विस्तार से बढ़ा टोल कलेक्शन

देश में सड़क नेटवर्क के विस्तार के चलते टोल कलेक्शन में इजाफा हो रहा है। वर्ष 2024 में 94 नए टोल प्लाजा जोड़े गए, जिससे 1 अप्रैल 2024 तक कुल टोल प्लाजा की संख्या 933 हो गई। वहीं, वित्तीय वर्ष 2025 के शुरुआती आठ महीनों (अप्रैल से नवंबर 2024) में 70 और नए टोल प्लाजा स्थापित किए गए।
2024 में भारत की टोल सड़कों की लंबाई में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 1 अप्रैल 2023 को यह लंबाई 42,595 किमी थी, जो 1 अप्रैल 2024 तक बढ़कर 46,884 किमी हो गई। यानी इस दौरान 4,289 किमी नई सड़कों को टोल नेटवर्क में जोड़ा गया। चालू वित्तीय वर्ष 2025 में अब तक 3,059.6 किमी नई सड़कें शामिल की जा चुकी हैं।

टोल प्लाजा की संख्या और NHAI की भूमिका

भारत में वर्तमान में कुल 1,040 टोल प्लाजा संचालित हैं, जिनमें से 1,003 राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधीन आते हैं। NHAI सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत कार्य करता है और टोल कलेक्शन को सुचारू बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।

पांच वर्षों में तीन गुना बढ़ा टोल कलेक्शन

भारत में टोल कलेक्शन में पिछले पांच वर्षों के दौरान तीन गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2018-19 में कुल टोल कलेक्शन 25,154.76 करोड़ रुपये था, जो 2022-23 तक बढ़कर 48,028.22 करोड़ रुपये हो गया।
सरकार ने वर्ष 2030 तक टोल कलेक्शन को 1.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। यह वृद्धि देश के सड़क बुनियादी ढांचे के तेजी से विस्तार और इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली (फास्टैग) जैसी तकनीकी प्रगति के जरिए संभव हो रही है।

केंद्र का दृष्टिकोण

विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क नेटवर्क का विस्तार और टोल प्रणाली में सुधार भारत की आर्थिक प्रगति में अहम भूमिका निभा रहा है। केंद्र सरकार का ध्यान न केवल सड़कों की लंबाई बढ़ाने पर है, बल्कि आधुनिक तकनीक के जरिए टोल कलेक्शन प्रक्रिया को भी कुशल बनाने पर है।
फास्टैग के जरिए डिजिटल टोल संग्रह ने न केवल प्रक्रिया को तेज किया है, बल्कि राजस्व में भी वृद्धि सुनिश्चित की है। ऐसे में आने वाले वर्षों में भारत का टोल कलेक्शन और अधिक बढ़ने की संभावना है।।


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