बंगाल में बीजेपी नेताओं पर हमला, पीएम मोदी और ममता बनर्जी आमने- सामने

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (07 October 2025): पश्चिम बंगाल में भाजपा सांसद खगेन मुर्मू और विधायक शंकर घोष पर हुए हमले ने राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। नागराकाटा में बाढ़ प्रभावित इलाकों के दौरे के दौरान दोनों नेताओं के काफिले पर ग्रामीणों ने ईंट-पत्थर फेंके, जिससे अफरातफरी मच गई। भाजपा ने आरोप लगाया कि इस हिंसा के पीछे तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता शामिल थे, जबकि तृणमूल ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा नेता जानबूझकर इलाके में तनाव फैलाने पहुँचे थे।

प्रधानमंत्री का सख्त रुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स (X) पर लिखा कि “जनप्रतिनिधियों पर हमला तृणमूल की असंवेदनशीलता और पश्चिम बंगाल की बिगड़ती कानून व्यवस्था को दर्शाता है।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब राज्य प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है, तब सरकार और सत्तारूढ़ दल को हिंसा नहीं, बल्कि जनता के साथ खड़े होने पर ध्यान देना चाहिए था। मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे राहत कार्यों में सक्रिय रहकर लोगों की मदद जारी रखें।

ममता बनर्जी का पलटवार

प्रधानमंत्री के बयान पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “देश के प्रधानमंत्री को बिना जांच या रिपोर्ट का इंतजार किए राज्य सरकार पर आरोप नहीं लगाना चाहिए।” ममता ने पीएम पर ‘राजनीतिक नाटक’ करने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री को याद रखना चाहिए कि वे भाजपा के नहीं, बल्कि पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि यह बयान संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है और लोकतंत्र में कानून को अपना काम करने देना चाहिए।

मणिपुर का संदर्भ और केंद्र-राज्य संबंध

ममता बनर्जी ने अपने जवाब में मणिपुर हिंसा का उल्लेख करते हुए कहा कि “जो व्यक्ति 964 दिनों बाद मणिपुर गया, वह अब बंगाल की चिंता दिखा रहा है। यह सहानुभूति नहीं, बल्कि राजनीतिक नाटक है।” उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे केवल अपनी पार्टी के सहयोगियों की नहीं, बल्कि राज्य सरकार की भी बात सुनें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय एकता और राहत कार्यों का है, न कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का।

राजनीतिक आरोपों के बीच जनता की पीड़ा

उत्तर बंगाल के कई इलाके अब भी बाढ़ और भूस्खलन के संकट से जूझ रहे हैं। राहत और पुनर्वास कार्यों के बीच भाजपा और तृणमूल के बीच बढ़ती बयानबाज़ी ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें मदद की ज़रूरत है, न कि सियासी जंग की। फिलहाल केंद्र और राज्य सरकार के बीच यह टकराव न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि प्रशासनिक सहयोग पर भी असर डाल सकता है।।


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