RSS के 100 साल पूरे, AAP सांसद संजय सिंह ने क्या पूछा?

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (01/10/2025): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बुधवार को एक विशेष डाक टिकट जारी किया। इस मौके को भाजपा और संघ ने ऐतिहासिक बताते हुए इसे राष्ट्र निर्माण में संगठन की भूमिका से जोड़ा। लेकिन इस अवसर पर आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने आरएसएस पर बड़ा हमला बोला और संगठन के इतिहास व सामाजिक सरोकारों पर कई सवाल खड़े किए।

दलित, आदिवासी और पिछड़ा नेतृत्व क्यों नहीं?

संजय सिंह ने कहा कि आरएसएस को सौ साल पूरे हो गए हैं, लेकिन इसमें अब तक सामाजिक विविधता का प्रतिनिधित्व क्यों नहीं दिखता। उन्होंने कहा, “100 सालों में एक भी दलित, आदिवासी या पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति संघ का प्रमुख क्यों नहीं बना? क्यों संगठन ने किसी महिला को भी प्रमुख नहीं बनाया?” संजय सिंह के मुताबिक यह स्पष्ट करता है कि संघ का ढांचा संकुचित सोच पर आधारित है।

आरक्षण और सामाजिक न्याय पर आरोप

आप नेता ने आरोप लगाया कि आरएसएस आरक्षण और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि संगठन जातिवादी व्यवस्था में यकीन रखता है और छूत-अछूत जैसी कुरीतियों को बढ़ावा देता है। “आरएसएस बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और उनके संविधान के खिलाफ है। यह दलितों और आदिवासियों के हक की बजाय भेदभाव वाली सोच को आगे बढ़ाता है।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को लेकर सवाल

संजय सिंह ने अपने बयान में संघ की भूमिका पर ऐतिहासिक सवाल भी उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि 1925 में जब देश गुलाम था, उस वक्त आरएसएस ने अंग्रेजों का साथ दिया। उनके मुताबिक संगठन ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और तिरंगे झंडे का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह तथ्य आरएसएस के इतिहास का काला सच है, जिसे छिपाया नहीं जा सकता।

अंग्रेजों की सेना में भर्ती कराने का आरोप

आप नेता ने आगे दावा किया कि आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीयों को अंग्रेजों की सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया। “जब देश के लोग आजादी के लिए लड़ रहे थे, तब संघ अंग्रेजों की मदद कर रहा था। यह इतिहास का हिस्सा है, जिसे अब किताबों में बताने की बजाय छुपाने की कोशिश की जाएगी,” संजय सिंह ने कहा।

आजादी के बाद तिरंगे को लेकर विवाद

संजय सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि आजादी के बाद 52 वर्षों तक आरएसएस ने अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया। उन्होंने कहा कि अब जब प्रधानमंत्री आरएसएस के 100 साल पूरे होने पर डाक टिकट जारी कर रहे हैं और पाठ्यक्रमों में संगठन के इतिहास को शामिल करने की तैयारी हो रही है, तब असली सच्चाई को छुपाया जा रहा है। “यह भी बताया जाना चाहिए कि संघ ने आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं दिया और लंबे समय तक तिरंगे से दूरी बनाए रखी।।


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