ED रेड को लेकर बड़ा विवाद, सौरभ भारद्वाज ने लगाए गंभीर आरोप!

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (29/08/2025): राजधानी दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सौरभ भारद्वाज ने ईडी अधिकारियों और स्वतंत्र गवाहों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके घर पर 26 से 27 अगस्त के बीच हुई छापेमारी के दौरान गैरकानूनी तरीके अपनाए गए। इस संबंध में ईडी निदेशक को लिखे गए पत्र में भरद्वाज ने तत्काल इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करने और उनकी फोरेंसिक जांच की मांग की है।

पत्र के अनुसार, छापेमारी 26 अगस्त की सुबह 7:15 बजे शुरू हुई और 27 अगस्त की तड़के 2:20 बजे तक चली। इस दौरान कई अनियमितताएं और अवैध गतिविधियां सामने आईं। शिकायतकर्ता सौरभ भारद्वाज ने बताया कि उनका बयान ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर मयंक अरोड़ा के लैपटॉप पर दर्ज किया गया था। 44 में से 43 सवालों के जवाब देने के बाद उनके बयान को कथित रूप से इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स (गूगल ड्राइव/व्हाट्सऐप) के जरिए बाहरी लोगों के साथ साझा किया गया। यह कार्रवाई गोपनीयता और जांच की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाती है।

आरोप में आगे कहा कि ईडी अधिकारियों ने बयान से कुछ हिस्से हटाने और बदलने के लिए दबाव बनाया। खासतौर पर वे हिस्से, जिनमें उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के अधिकारियों का जिक्र था। बाद में उन्हें एक संशोधित बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया।

पत्र में यह भी कहा है कि पूरी तरह सहयोग करने के बावजूद उन्हें गिरफ्तारी की धमकी दी गई। साथ ही ईडी अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने जब्ती मेमो (पंचनामा) के कई संस्करण तैयार किए। पहले संस्करण में स्वास्थ्य विभाग का हलफनामा शामिल था, जो दिल्ली हाईकोर्ट में दायर हुआ था और उनके पक्ष को मजबूत करता था। लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया और मूल दस्तावेज नष्ट कर दिए गए। सौरभ भारद्वाज ने इसे साक्ष्यों से छेड़छाड़ करार दिया है।

स्वतंत्र गवाहों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि पंच गवाहों ने बिना किसी आपत्ति या सत्यापन के जब्ती मेमो पर हस्ताक्षर कर दिए। भारद्वाज का कहना है कि उनकी भूमिका निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की थी, लेकिन इसके बजाय उन्होंने ईडी अधिकारियों की अवैध कार्रवाइयों को ही वैधता प्रदान कर दी। इससे पूरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर संदेह गहराता है।

सौरभ भारद्वाज ने ईडी निदेशक से मांग की है कि असिस्टेंट डायरेक्टर मयंक अरोड़ा के लैपटॉप को तुरंत जब्त किया जाए। उनका कहना है कि इस लैपटॉप में उनके बयान का मूल संस्करण, जब्ती मेमो का पहला ड्राफ्ट, बाद में किए गए संशोधन और बाहरी तौर पर दस्तावेज साझा करने के सबूत मौजूद हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपने घरेलू प्रिंटर को भी जब्त करने की अपील की है, जिसका इस्तेमाल ईडी अधिकारियों ने बयान और दस्तावेज प्रिंट करने में किया था। उनका कहना है कि इस प्रिंटर की आंतरिक मेमोरी में असली दस्तावेज संरक्षित हैं, जो छेड़छाड़ के सबूत के तौर पर इस्तेमाल हो सकते हैं।

अंत में, उन्होंने दोनों उपकरणों की स्वतंत्र विशेषज्ञ एजेंसी से फोरेंसिक जांच कराने की मांग की है, ताकि घटनाओं का सटीक क्रम, किए गए संशोधन और अवैध संचार की सच्चाई सामने आ सके। यह मामला अब ईडी की कार्यप्रणाली, पारदर्शिता और जांच की निष्पक्षता को लेकर बड़े सवाल खड़े कर रहा है।


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