गणतंत्र दिवस 2025: गणतंत्र दिवस परेड में झांकियों के चयन की क्या है प्रक्रिया | टेन न्यूज की विशेष रिपोर्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (26 दिसंबर 2024): गणतंत्र दिवस की परेड भारतीय लोकतंत्र और सांस्कृतिक विविधता का सबसे बड़ा प्रदर्शन है। हर साल 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां देश की अनोखी विरासत को प्रदर्शित करती हैं। लेकिन इस बार गणतंत्र दिवस 2025 की परेड में दिल्ली की झांकी को शामिल नहीं किया गया है, जिससे राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस छिड़ गई है।

झांकियों का महत्व

हर झांकी राज्य की संस्कृति, परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहरों का प्रतीक होती है। इन्हें देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में जुटते हैं। इन झांकियों के जरिए भारत की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं की झलक मिलती है। परंतु हर साल कुछ राज्यों की झांकियों को मंजूरी न मिलने पर विवाद खड़ा हो जाता है।

झांकियों के चयन की प्रक्रिया

गणतंत्र दिवस परेड में झांकियों के चयन की प्रक्रिया रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा संचालित की जाती है। यह समिति कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला और नृत्यकला जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों से मिलकर बनी होती है। चयन की प्रक्रिया के मुख्य चरण इस प्रकार हैं:

1. प्रारंभिक प्रस्ताव: राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को झांकियों के लिए अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने होते हैं। इनमें विषयवस्तु, अवधारणा और डिजाइन का विवरण शामिल होता है।

2. विश्लेषण और समीक्षा: विशेषज्ञ समिति इन प्रस्तावों का गहन मूल्यांकन करती है। स्केच, प्रारंभिक डिजाइन और थीम की समीक्षा की जाती है।

3. त्रि-आयामी मॉडल: चयनित प्रस्तावों के लिए 3D मॉडल तैयार किए जाते हैं। इन मॉडलों का दृश्य प्रभाव, जनता पर प्रभाव और संगीत की संगति के आधार पर परीक्षण किया जाता है।

4. अंतिम चयन: झांकियों को उनकी दृश्य अपील, सामाजिक संदेश और कला की गुणवत्ता के आधार पर अंतिम मंजूरी दी जाती है।

 

विवाद और राजनीति का दखल

गणतंत्र दिवस 2025 की परेड में दिल्ली की झांकी को शामिल न करने पर विवाद ने जोर पकड़ा है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे केंद्र सरकार की “राजनीतिक दुर्भावना” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली की झांकी को पिछले कई वर्षों से लगातार बाहर रखा जा रहा है।

इससे पहले भी विभिन्न राज्यों की झांकियों को लेकर विवाद हुए हैं। 2022 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब की झांकियां खारिज होने पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई थी। खासकर तमिलनाडु की स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित झांकी को लेकर काफी विरोध हुआ था।

क्या कहती है चयन प्रक्रिया?

विशेषज्ञ समिति के अनुसार, चयन प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष है और केवल गुणवत्ता और थीम के आधार पर निर्णय लिया जाता है। लेकिन राज्यों और राजनीतिक दलों का मानना है कि यह प्रक्रिया हमेशा निष्पक्ष नहीं होती।

जनता की अपेक्षाएं

गणतंत्र दिवस की परेड देश की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है, और हर राज्य की जनता अपनी झांकी को इस आयोजन में देखना चाहती है। यह न केवल उनकी कला और संस्कृति को पहचान दिलाता है, बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी मजबूती देता है।

झांकियों का चयन एक तकनीकी प्रक्रिया है, लेकिन इसके राजनीतिक आयामों को नकारा नहीं जा सकता। जरूरत इस बात की है कि चयन प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ संचालित हो, ताकि गणतंत्र दिवस की परेड वाकई में “सभी राज्यों की परेड” बन सके।

क्या झांकियों के चयन पर राजनीति हावी हो रही है?

यह सवाल हर साल उठता है। गणतंत्र दिवस 2025 का विवाद यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय आयोजन भी अब राजनीतिक बहस का हिस्सा बन गए हैं। जनता को उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियां न बनें जो इस आयोजन की गरिमा को कम करें।।

 

रंजन अभिषेक (टेन न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली)

 


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