New Delhi News (11/08/2025): दिल्ली विश्वविद्यालय में नई ‘एंटी-डीफेसमेंट’ अधिसूचना को लेकर NSUI ने जोरदार विरोध दर्ज कराया है। एनएसयूआई का कहना है कि यह कदम लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है और डूसू चुनाव में बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) को फायदा पहुंचाने की साज़िश है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा कि वे लिंगदोह समिति की सिफारिशों और अदालत के आदेशों के मुताबिक साफ-सुथरे चुनाव के पक्षधर हैं, लेकिन यह अधिसूचना राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल हो रही है।
एनएसयूआई ने खास तौर पर 1 लाख रुपये की जमानत राशि के प्रावधान पर आपत्ति जताई है। संगठन का कहना है कि लिंगदोह समिति ने चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा 5,000 रुपये तय की थी, लेकिन इस नई अधिसूचना में उम्मीदवारों से 1 लाख रुपये की जमानत राशि मांगी जा रही है। उनका आरोप है कि यह प्रावधान गरीब और वंचित वर्ग के छात्रों को चुनाव से बाहर करने की सुनियोजित चाल है, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं है और यह छात्रों के लिए आर्थिक बाधा पैदा करता है।
इसके अलावा, एनएसयूआई ने उस प्रावधान को भी अन्यायपूर्ण बताया है, जिसमें यदि किसी उम्मीदवार के नाम से नकली पोस्टर लगाए जाते हैं, तो उसे 24 घंटे में हटाना अनिवार्य है, अन्यथा 25,000 रुपये जुर्माना और निलंबन का खतरा रहेगा। वरुण चौधरी का कहना है कि डीयू के विशाल परिसर को देखते हुए यह नियम अव्यावहारिक है और इससे विपक्षी उम्मीदवारों को आसानी से फंसाया जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रावधान प्रशासन के जरिए विपक्ष को डराने और कमजोर करने का जरिया है।
एनएसयूआई का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन उच्च न्यायालय और एनजीटी के आदेशों का चयनात्मक उपयोग कर रहा है। उनका कहना है कि कई ऐसे प्रावधान नियमों में जोड़े गए हैं जो न तो कानून में मौजूद हैं और न ही लिंगदोह समिति की सिफारिशों में। संगठन का मानना है कि पिछले चुनाव में एबीवीपी की हार के बाद इन नियमों का लागू होना प्रशासनिक निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है और यह सीधे-सीधे चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश है।
एनएसयूआई ने स्पष्ट किया है कि डीयू को बीजेपी का राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनने दिया जाएगा। संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि लिंगदोह समिति और अदालत के आदेशों को पूरी तरह और निष्पक्ष रूप से लागू किया जाए। साथ ही, नियमों का दुरुपयोग कर विपक्षी छात्रों को चुनाव से बाहर करने की कोशिश रोकी जाए और चुनावी निगरानी सख्ती के साथ लेकिन निष्पक्षता से की जाए। एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि इस “असंवैधानिक अतिक्रमण” के खिलाफ उनका संघर्ष जारी रहेगा।।
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