अमेरिकी टैरिफ के असर पर EPCH की प्रतिक्रिया: स्थायित्व और नए बाजारों की तलाश पर जोर

टेन न्यूज नेटवर्क
New Delhi News (08 August 2025): अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ के बाद भारतीय उत्पादों, विशेष रूप से हस्तशिल्प और हथकरघा निर्यात पर पड़ने वाले असर को लेकर EPCH (Export Promotion Council for Handicrafts) के चेयरमैन नीरज खन्ना ने विस्तृत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों में लगाए गए अमेरिकी टैरिफ और उसमें बदलाव ने इस उद्योग के लिए एक तरह का नया असंतुलन पैदा किया है। उनका मानना है कि चाहे टैरिफ की दर कुछ भी हो, उसमें स्थायित्व होना बहुत जरूरी है। अगर 50% टैरिफ लगाया जाता है तो उसे लंबे समय तक बरकरार रखा जाए, ताकि निर्यातक और व्यापारी स्पष्ट रूप से अपने व्यापारिक फैसले ले सकें और रणनीति बना सकें। बार-बार टैरिफ में बदलाव से अनिश्चितता पैदा होती है, जिससे उद्योग को नुकसान होता है।

नीरज खन्ना ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका भारतीय हस्तशिल्प, वस्त्र और हथकरघा उत्पादों के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण बाजार है, लेकिन यह एकमात्र विकल्प नहीं है। उनका कहना था कि अगर एक रास्ता बंद होता है, तो कई नए रास्ते खुलते हैं। इसलिए भारत को अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाय सऊदी अरब, जापान और अन्य देशों जैसे बड़े बाजारों में अपनी पहुंच बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब चर्चा इस बात पर होनी चाहिए कि अन्य देशों तक भारतीय उत्पाद कैसे पहुंचाए जाएं, ताकि वैश्विक स्तर पर फिर से भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा को बेहतरीन अवसर और स्थान मिल सके।

इसी मुद्दे पर EPCH के चीफ कन्वेनर अवधेश अग्रवाल ने भी विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि सावन के पावन अवसर पर लगभग 300 लोगों के साथ भगवान शिव का अभिषेक और पूजा-अर्चना की गई। उनका कहना था कि हिंदू धर्म की परंपरा में जब भी कोई संकट आता है, तो हम ईश्वर की शरण में जाते हैं और पूजा-पाठ के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि इस “ट्रंप रूपी समस्या” का विनाश भी भगवान शिव की कृपा से अवश्य होगा। अवधेश अग्रवाल ने बताया कि EPCH के मार्गदर्शक डॉ. राकेश कुमार के मार्गदर्शन में निर्यातकों और उद्योग से जुड़े सभी लोग मिलकर इस आर्थिक चुनौती से बाहर निकलने के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि निर्यातकों को राहत देने के लिए कैलकुलेशन स्कीम और मेंटेनेंस स्कीम को फिर से 7% के साथ लागू किया जाए, वहीं बंद किए गए ड्रॉबैक को 10% के साथ बहाल किया जाए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका को आर्थिक रूप से जवाब देने के लिए निर्यातकों को 10% अतिरिक्त सहायता दी जानी चाहिए। उन्होंने भारतीय नागरिकों से भी आग्रह किया कि अमेरिका से आने वाले वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी उत्पादों को अपनाएं। उनके अनुसार, इससे न केवल अमेरिका को सशक्त संदेश मिलेगा, बल्कि भारत भी विकास के पथ पर अग्रसर होकर “विकसित भारत” के संकल्प को साकार कर सकेगा।।


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