सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: कुष्ठ रोगियों से भेदभाव खत्म करने को लेकर बुलाएं विशेष सत्र
टेन न्यूज़ नेटवर्क
New Delhi News (31/07/2025): सुप्रीम कोर्ट (Suprime Court) ने एक अहम निर्देश जारी करते हुए कहा कि कुष्ठ रोगियों के साथ हो रहे भेदभाव और अपमानजनक कानूनी प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से खत्म किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने सभी राज्य सरकारों से कहा कि वे या तो अपनी विधानसभाओं का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाएं और इस मुद्दे पर स्पष्ट कानून बनाएं या फिर आवश्यकता पड़ने पर अध्यादेश लाएं। अदालत का यह बयान समाज के सबसे वंचित और कलंक झेलते समुदाय को न्याय दिलाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें कुष्ठ रोगियों के खिलाफ बने अपमानजनक और भेदभावपूर्ण कानूनों को समाप्त कर इन रोगियों की बहुत बड़ी सेवा कर सकती हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मानसून या शीतकालीन सत्र का इंतजार करने के बजाय राज्य सरकारें एक विशेष सत्र बुलाकर इस दिशा में ठोस निर्णय लें। कोर्ट ने यह टिप्पणी 2010 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने एक कड़ा और भावनात्मक बयान देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी “कुष्ठ” को तलाक का एक वैध आधार माना जाता है। उन्होंने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी से कहा कि यह हमारे समाज की उस सोच को दर्शाता है जो अब भी बीमारी को कलंक मानती है। उन्होंने कहा, “हम यह शब्द इस्तेमाल नहीं करना चाहते, लेकिन देखिए कि यह कितना शर्मनाक है। कुष्ठ रोग को तलाक का आधार माना जाना अब भी जारी है।”
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह इस मुद्दे पर स्पष्ट प्रतिक्रिया दे और इस संबंध में अब तक की गई कार्रवाई की एक स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र विभिन्न कानूनों की समीक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि कोई भी ऐसा प्रावधान न बचा रहे जिससे कुष्ठ रोगियों को सामाजिक या कानूनी रूप से अपमानित किया जाए, भले ही वे रोगी पूरी तरह ठीक हो चुके हों।
सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप केवल न्यायिक आदेश नहीं बल्कि नैतिक आह्वान भी है। अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार) के आलोक में यह अत्यंत आवश्यक है कि कुष्ठ रोगियों को समान और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिले। कोर्ट ने राज्यों से कहा कि वे समाज में जागरूकता फैलाएं कि कुष्ठ कोई अभिशाप नहीं बल्कि एक इलाज योग्य बीमारी है।
यह याचिका 2010 में दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि देश के कई कानून अब भी कुष्ठ रोगियों के साथ भेदभाव करते हैं। याचिका में मांग की गई थी कि ऐसे सभी प्रावधान रद्द किए जाएं और नए कानून बनाए जाएं जो कुष्ठ से पीड़ित या ठीक हो चुके लोगों के अधिकारों की रक्षा करें। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर अब तक कई बार सुनवाई कर चुका है, लेकिन पहली बार इस स्तर पर कड़ा रुख अपनाया गया है।
अंत में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को आठ सप्ताह का समय दिया है कि वे अदालत को यह बताएं कि वे इस विषय में विशेष सत्र बुलाएंगी या अध्यादेश लाएंगी। साथ ही उन्हें यह भी स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने अब तक कुष्ठ रोगियों के अधिकारों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं। इस आदेश को सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य अधिकारों के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन भारत सरकार , दिल्ली सरकार, राष्ट्रीय एवं दिल्ली राजनीति , दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस तथा दिल्ली नगर निगम, NDMC, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।
टेन न्यूज हिंदी | Ten News English | New Delhi News | Greater Noida News | NOIDA News | Yamuna Expressway News | Jewar News | NOIDA Airport News.
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।