New Delhi News (25/07/2025): बिहार में विधान सभा चुनाव से ठीक पहले चल रहे गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम (SIR) को लेकर संसद में भारी राजनीतिक गरमाहट देखी जा रही है। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए इस कार्यक्रम पर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि लाखों वैध मतदाताओं के नाम जानबूझकर मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सीधे चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास 100% पुख्ता सबूत हैं। राहुल ने आरोप लगाया कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी, तो इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से “बदला” लिया जाएगा। विपक्ष ने इस कथित ‘साजिश’ को लोकतंत्र पर हमला बताया है।
विपक्ष के इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने राहुल गांधी के बयानों को “बेबुनियाद और भ्रामक” बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ चलाई जा रही है, और यह किसी भी राजनीतिक दबाव में नहीं आती। साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में केरल हाई कोर्ट में पहले से सुनवाई चल रही है, और राहुल गांधी को किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए। वो भारत के एक संवैधानिक संस्था को धमकाने की कोशिश कर रहे है। आयोग ने यह बयान देकर यह संकेत दिया कि वह किसी राजनीतिक हमले से डरने वाला नहीं है।
संसद के मानसून सत्र में पिछले पाँच दिनों से यह मुद्दा छाया हुआ है, लेकिन विपक्ष के लगातार हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही रोज कुछ ही मिनट चल पाती है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार इस विषय पर चर्चा से बच रही है और असली मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। वहीं, सत्ता पक्ष का दावा है कि सरकार हर विषय पर चर्चा को तैयार है, लेकिन विपक्ष सिर्फ राजनीतिक स्टंट के लिए सदन की गरिमा को ठेस पहुँचा रहा है। इससे आम जनता के अहम मुद्दों पर कोई सार्थक बहस नहीं हो पा रही है।

संसद के अंदर हो रही नोंकझोंक के साथ-साथ विपक्ष ने सड़क पर भी मोर्चा खोल दिया है।आज शुक्रवार को भी विपक्षी दलों के कई नेता संसद भवन के बाहर तख्तियां लेकर प्रदर्शन करते नजर आए। उनके हाथों में “मतदाता सूची से नाम हटाना बंद करो” और “चुनाव आयोग को स्वतंत्र बनाओ” जैसी तख्तियां थीं। यह प्रदर्शन करीब एक घंटे तक चला, जिसमें कांग्रेस, राजद, सपा और कई विपक्षी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की भागीदारी सबसे अहम है और यदि मतदाता ही सूची से हटा दिए जाएंगे तो चुनाव का क्या मतलब रह जाएगा।
इस पूरे विवाद ने न सिर्फ चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को राजनीतिक बहस के केंद्र में ला दिया है, बल्कि आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक तापमान भी बढ़ा दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सदन में इस मुद्दे पर कोई व्यापक चर्चा हो सकेगी या यह मुद्दा भी शोर-शराबे की भेंट चढ़ जाएगा। साथ ही यह भी देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी वाकई अपने “100% सबूत” सार्वजनिक करते हैं या यह केवल एक राजनीतिक दबाव की रणनीति थी। फिलहाल, बिहार का मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम राजनीतिक तूफान का केंद्र बन चुका है, जो संसद से लेकर सड़कों तक गूंज रहा है।।
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