दिल्ली में 2026 से पहली कक्षा में दाखिले की उम्र होगी 6 साल, NEP के तहत बड़ा बदलाव

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (22 जून 2025): दिल्ली सरकार ने एकेडमिक सत्र 2026-27 से स्कूलों में पहली कक्षा (क्लास-1) में दाखिले की न्यूनतम उम्र 6 साल तय कर दी है। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया गया है। दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए स्पष्ट किया कि अब बच्चों को स्कूल में प्रवेश से पहले तीन साल की अनिवार्य प्री-प्राइमरी शिक्षा यानी ‘बालवाटिका’ पूरी करनी होगी। इसका मकसद बच्चों को मजबूत शैक्षणिक आधार देने और शुरुआती वर्षों में मानसिक विकास को बढ़ावा देना है।

दिल्ली के शिक्षा निदेशालय की निदेशक वेदिता रेड्डी ने बताया कि यह बदलाव फाउंडेशनल स्टेज की रूपरेखा को दोबारा परिभाषित करने का हिस्सा है, जिसमें 3+3+3+4 के ढांचे के तहत बच्चों की उम्र के अनुसार शिक्षा का विभाजन किया गया है। इसके तहत बच्चे को पहले 3 साल की ‘बालवाटिका’ शिक्षा देनी होगी, जिसमें नर्सरी, लोअर केजी और अपर केजी शामिल हैं। इसके बाद ही वह 6 साल की उम्र में पहली कक्षा के लिए योग्य माना जाएगा। इस फैसले को लेकर निदेशालय ने स्कूलों, शिक्षकों और अभिभावकों से 10 जुलाई तक सुझाव मांगे हैं।

इस नई व्यवस्था के लागू होने से दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अभी तक दिल्ली के कुछ निजी स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों में अलग-अलग उम्र के हिसाब से प्रवेश होता था, जिससे अन्य राज्यों से आए बच्चों को समायोजन में कठिनाइयां होती थीं। अब सभी स्कूलों में एक समान उम्र सीमा लागू होने से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि एकरूपता भी सुनिश्चित होगी। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि छह साल की उम्र में बच्चा मानसिक और सामाजिक रूप से ज्यादा तैयार होता है, जिससे उसकी सीखने की क्षमता बेहतर हो सकती है।

स्कूल संचालकों और शिक्षा से जुड़े संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एल.के. छाबड़िया ने कहा कि यह कदम मानसिक विकास की दृष्टि से बच्चों के लिए लाभकारी होगा और यह पहले से ही 21 राज्यों में लागू है। वहीं, अनऐडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स की एक्शन कमिटी के अध्यक्ष भरत अरोड़ा ने इसे शिक्षा व्यवस्था को संगठित करने वाला निर्णय बताया, जिससे ट्रांसफर होने वाले छात्रों को काफी राहत मिलेगी।

हालांकि इस बदलाव के साथ स्कूलों के सामने कई व्यावहारिक चुनौतियां भी खड़ी होंगी। एक अतिरिक्त क्लास जोड़ने का मतलब है कि स्कूलों को अपने संसाधन बढ़ाने होंगे। विशेष रूप से छोटे स्कूलों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर, फ्लोर एरिया और स्टाफ की व्यवस्था करना एक चुनौती होगी। कई स्कूलों का मानना है कि इसके लिए सरकार को मास्टर प्लान लाना होगा और स्कूलों को फ्लोर एरिया रेश्यो बढ़ाने की अनुमति देनी होगी, ताकि वे अपनी सुविधाएं विस्तार कर सकें।

दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने की कोशिश के तहत यह बदलाव एक अहम पहल माना जा रहा है। एनईपी 2020 के मुताबिक अब बच्चों को स्कूल में दाखिले से पहले व्यापक प्रारंभिक शिक्षा दी जाएगी, जो उन्हें न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मजबूत बनाएगी। शिक्षा निदेशालय की ओर से जल्द ही विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि स्कूल इस बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें।


प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन नई दिल्ली, दिल्ली सरकार, दिल्ली राजनीति, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।


Discover more from टेन न्यूज हिंदी

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

टिप्पणियाँ बंद हैं।