एनडीए में सीटों का बंटवारा तय: बिहार चुनाव 2025 के लिए रणनीति तैयार

टेन न्यूज नेटवर्क

पटना (07 जून 2025): बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों ने अब रफ्तार पकड़ ली है। एनडीए खेमे में सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही चर्चाएं अब अंतिम चरण में हैं। सूत्रों की मानें तो बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीटों को लेकर जो प्रारंभिक सहमति बनी है, उसमें लोकसभा चुनाव के सीट शेयरिंग फॉर्मूले को आधार बनाया गया है। हाल ही में पटना में इसको लेकर अहम बैठक हुई, जिसके बाद अब बातचीत का अगला दौर जल्द ही दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।

लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए के तहत बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16, एलजेपी (पासवान) ने 5, जबकि हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा था। इसी संतुलन को ध्यान में रखते हुए विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा किया जा रहा है। खबर यह है कि जमीनी हकीकत, जातीय समीकरण और संगठनात्मक ताकत के आधार पर सीटें बांटी जाएंगी, ताकि गठबंधन को ज़मीनी स्तर पर अधिकतम फायदा मिल सके।

सूत्रों के मुताबिक, 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में जेडीयू को 102-103 सीटें मिल सकती हैं, जबकि बीजेपी को 101-102 सीटों पर लड़ने का मौका मिलेगा। बाकी की करीब 40 सीटों का बंटवारा एलजेपी (रामविलास), हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के बीच किया जाएगा। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा एलजेपी को मिलने की संभावना है, जिसे लगभग 25-28 सीटें मिल सकती हैं। वहीं जीतन राम मांझी की ‘हम’ पार्टी को 6-7 और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4-5 सीटें मिल सकती हैं। टेन न्यूज़ की टीम ने 3 महीने पहले ही इस समीकरण पर अपनी मुहर लगा दी थी। अब इस समीकरण पर मिल रही जानकारी ने भी स्पष्ट कर दिया है।

चर्चाओं में इस बात पर भी सहमति बन चुकी है कि टिकट बंटवारे में जातीय संतुलन और क्षेत्रीय प्रभावशीलता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। खास तौर पर उन जिलों में जहां एनडीए के अलग-अलग घटक दलों के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे, वहां यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक ही जाति के कई उम्मीदवार खड़े न हों। उद्देश्य यह है कि व्यापक सामाजिक समूहों का प्रतिनिधित्व हो और मतों का अधिकतम ध्रुवीकरण एनडीए के पक्ष में हो सके।

गठबंधन में नेतृत्व को लेकर भी अब तस्वीर साफ होती दिख रही है। बीजेपी के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे। गठबंधन नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और कार्यों के बल पर चुनावी मैदान में उतरेगा। नीतीश कुमार की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर बीजेपी का कहना है कि यह मुद्दा उल्टा विपक्ष पर भारी पड़ेगा, क्योंकि नीतीश की लोकप्रियता और प्रशासनिक साख आज भी अडिग और निर्विवाद है।

एनडीए के इस मजबूत और संतुलित सीट बंटवारे के फॉर्मूले से यह संकेत मिल रहा है कि गठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव को संगठित और रणनीतिक रूप से लड़ने की तैयारी में जुट चुका है। अब देखना यह है कि महागठबंधन इस चुनौती का कैसे जवाब देता है और क्या इस बार भी नीतीश-मोदी की जोड़ी बिहार की सत्ता में वापसी कर पाएगी।


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