आर्थिक शक्ति की नई नायिकाएं: भारत की विकास यात्रा में महिलाओं की क्रांतिकारी भूमिका

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (06 जून 2025): भारत की विकास गाथा आज वैश्विक मंच पर एक प्रेरक केस स्टडी बन चुकी है। इसकी प्रमुख वजह है देश की नीतियों में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को दिया गया केंद्रीय स्थान। बीते एक दशक में भारत ने न सिर्फ एक मजबूत वित्तीय प्रणाली विकसित की, बल्कि एक ऐसा जनांदोलन खड़ा किया, जिसमें महिलाओं ने आर्थिक नेतृत्व संभालना शुरू कर दिया है।

वित्तीय समावेशन से सशक्तिकरण की ओर

प्रधानमंत्री जनधन योजना, मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं ने महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता की राह दिखाई है। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और सामुदायिक विकास में निवेश करने लगी हैं। इससे न केवल परिवारों में समृद्धि आई है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयां मिली हैं।

नेतृत्व में महिलाएं, भविष्य अधिक सुरक्षित

एक स्पष्ट प्रवृत्ति यह उभर कर आई है कि जिन परिवारों की आर्थिक जिम्मेदारी महिलाओं के हाथ में है, वे अधिक स्थिर और सक्षम बन रहे हैं। इससे राष्ट्र का भविष्य भी अधिक सुरक्षित होता जा रहा है।

स्वरोजगार में ऐतिहासिक उछाल

नीति आयोग, ट्रांस यूनियन सिबिल और माइक्रोसेव कंसल्टिंग की ‘फ्रॉम बोरोअर्स टू बिल्डर्स: वीमेन इन इंडिया’s फाइनेंशियल ग्रोथ स्टोरी’ रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में सिर्फ 1 मिलियन महिलाएं स्व-निगरानी करने वाली थीं, जो 2024 में बढ़कर 27 मिलियन हो गईं। यह परिवर्तन महिलाओं की वित्तीय जागरूकता और आत्मनिर्भरता की सशक्त तस्वीर प्रस्तुत करता है।

क्रेडिट अवेयरनेस और ग्रेडिंग में सुधार, साल 2024 के आंकड़ों के अनुसार

7% महिलाएं सुपर-प्राइम (CIBIL स्कोर 791-900) श्रेणी में हैं,

16% प्राइम प्लस में,

39% प्राइम में,

22% नियर-प्राइम और

शेष सब-प्राइम में हैं।

यह दर्शाता है कि महिलाएं बेहतर क्रेडिट अभ्यास अपना रही हैं और अपने ऋणों का प्रबंधन अधिक दक्षता से कर रही हैं।

ग्रामीण भारत से नेतृत्व की लहर

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि दो-तिहाई महिला उधारकर्ता ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से आती हैं। गैर-मेट्रो क्षेत्रों में स्व-निगरानी करने वाली महिलाओं की संख्या में 48% की वृद्धि हुई, जबकि मेट्रो शहरों में यह वृद्धि 30% रही।

राज्यवार उन्नति और क्षेत्रीय बढ़त

दक्षिण भारत 1.02 करोड़ महिला उधारकर्ताओं के साथ सबसे आगे है, जबकि उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सक्रिय महिला क्रेडिट उपयोगकर्ताओं की संख्या में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है।

 

युवा पीढ़ी की बढ़ती हिस्सेदारी

जनरेशन G महिलाओं की हिस्सेदारी 2024 में बढ़कर 27.14% हो गई, जो 2023 में 24.87% थी। यह बताता है कि अब युवा महिलाएं भी बड़ी संख्या में आर्थिक निर्णयों में भागीदारी कर रही हैं।

उद्यमिता की उड़ान और एमएसएमई में महिलाओं की भूमिका

महिलाओं द्वारा संचालित एमएसएमई ने न केवल औद्योगिक ढांचे में विविधता लाई है, बल्कि भारत की निर्यात क्षमता और आपूर्ति श्रृंखला को भी मजबूत किया है। सरकारी योजनाओं से महिला उद्यमियों को पूंजी, मार्गदर्शन और विस्तार के नए अवसर मिले हैं।

विकास की नई परिभाषा

महिलाएं अब केवल वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाली नहीं, बल्कि वित्तीय नेतृत्व संभालने वाली बन चुकी हैं। वे क्रेडिट उपयोगकर्ता के साथ-साथ राष्ट्र के विकास की सक्रिय भागीदार बन गई हैं।

नीति निर्माण में प्रेरणा का स्रोत

महिलाओं की सफलता नीतिकारों को भी अधिक समावेशी और न्यायसंगत नीतियां बनाने की प्रेरणा दे रही है। यह बदलाव भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को भी सशक्त बना रहा है और अंतरराष्ट्रीय निवेश तथा सहयोग को आकर्षित कर रहा है।

निष्कर्षत:, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत में महिला केंद्रित नीतियों ने महिलाओं को सशक्त ही नहीं किया, बल्कि उन्हें आर्थिक प्रगति की मुख्य शक्ति बना दिया है। महिलाएं अब केवल ‘लाभार्थी’ नहीं, बल्कि भारत की विकास यात्रा की वास्तविक वाहक हैं। यह परिवर्तन भारत को न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध बना रहा है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अधिक समावेशी और सशक्त राष्ट्र के रूप में उभार रहा है।

रंजन अभिषेक (नई दिल्ली)


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