नई दिल्ली (20 मई 2025): दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लेते हुए विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (MLA-LAD) में भारी कटौती की है। पहले प्रत्येक विधायक को अपने क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए सालाना 15 करोड़ रुपये की राशि मिलती थी, जिसे अब घटाकर सिर्फ 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस कदम ने राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है और विपक्षी दलों ने इसे जनता के साथ अन्याय करार दिया है। सरकार के इस फैसले से अब हर विधायक को मिलने वाली राशि एक तिहाई रह जाएगी, जिससे उनके विकास कार्य प्रभावित हो सकते हैं। यह घोषणा सोमवार को दिल्ली कैबिनेट की बैठक के बाद की गई, जिसके बाद शहरी विकास विभाग ने आदेश जारी किया। दिल्ली में कुल 70 विधायक हैं, और अब कुल विधायक निधि 1050 करोड़ से घटकर 350 करोड़ रह जाएगी। यह फैसला सीधे तौर पर स्थानीय विकास योजनाओं की गति को प्रभावित कर सकता है।
शहरी विकास विभाग द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यह निर्णय वित्तीय वर्ष 2025-26 से लागू होगा। यह निधि ‘अनटाइड फंड’ के रूप में दी जाएगी, जिसका मतलब है कि इसे पूंजीगत प्रकृति के स्वीकृत कार्यों के साथ-साथ परिसंपत्तियों की मरम्मत और रखरखाव जैसे लचीले उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। सरकार का कहना है कि इस कटौती से वित्तीय अनुशासन स्थापित किया जा सकेगा और संसाधनों का बेहतर व पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। आदेश में यह भी बताया गया है कि निधि का उपयोग किस प्रकार किया जाएगा, इस पर निगरानी के लिए एक अलग ढांचा विकसित किया जा रहा है। कैबिनेट के इस फैसले को सरकार ने “रणनीतिक बजट प्रबंधन” का हिस्सा बताया है। हालाँकि, इस कदम से प्रभावित विधायकों ने नाराज़गी जताई है और कुछ ने इसे विकास के खिलाफ कदम बताया है।
दिल्ली में विधायक निधि की यह राशि पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ाई जाती रही थी। 2015 में यह राशि 4 करोड़ रुपये प्रति विधायक थी, जिसे 2018 में बढ़ाकर 10 करोड़ और हाल ही में 2024 में 15 करोड़ रुपये किया गया था। लेकिन अब रेखा गुप्ता सरकार के इस यू-टर्न ने सभी को चौंका दिया है। इस कटौती से न केवल बुनियादी ढांचे के विकास कार्य धीमे हो सकते हैं, बल्कि स्कूल, सड़कों, पानी और सीवर जैसी जरूरतों की योजनाओं पर भी असर पड़ सकता है। दिल्ली जैसे महानगर में जहां जनसंख्या घनत्व अधिक है, वहां 5 करोड़ की राशि अपर्याप्त मानी जा रही है। कई स्थानीय प्रतिनिधियों का मानना है कि इस कदम से जनता की उम्मीदों को झटका लगेगा और उनकी शिकायतें बढ़ सकती हैं।
विधायक निधि को लेकर आम तौर पर यह उम्मीद रहती है कि यह राशि स्थानीय समस्याओं के त्वरित समाधान में मदद करेगी। स्कूलों में कमरे बनवाना, गलियों की मरम्मत, स्ट्रीट लाइट्स लगवाना या पानी की टंकी बनवाने जैसे कार्य इसी निधि से होते हैं। लेकिन अब कम राशि मिलने से विधायकों के हाथ बंधे रहेंगे। भाजपा विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर मीडिया को कहा कि पार्टी के भीतर भी इस निर्णय को लेकर असंतोष है। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों की जरूरतें अलग-अलग होती हैं, ऐसे में एक समान और सीमित फंड से न्याय नहीं हो सकता। कुछ विपक्षी विधायकों ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा सरकार अब जनता को दिए गए विकास के वादों से पीछे हट रही है।
सरकार ने हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि विधायक निधि में हुई इस कटौती से जो धनराशि बचेगी, उसका उपयोग कहां और कैसे किया जाएगा। सवाल उठ रहे हैं कि क्या इसे अन्य योजनाओं में स्थानांतरित किया जाएगा, या यह मात्र बजट संतुलन की कवायद है। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं और इसे लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण के खिलाफ बताया है। रेखा गुप्ता सरकार का यह फैसला आने वाले समय में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है, खासकर तब जब दिल्ली में नगर निगम और विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। विपक्ष इस फैसले को लेकर जनता के बीच सक्रिय हो चुका है और आने वाले दिनों में सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा बन सकता है।
प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन नई दिल्ली, दिल्ली सरकार, दिल्ली राजनीति, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।