“उधर पाकिस्तान की पिटाई, इधर आर्मी का जोश हाई”: राजनाथ सिंह ने दिया बड़ा संदेश
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (09 मई 2025): 8-9 मई की रात पाकिस्तान की ओर से किए गए नाकाम ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारत की सैन्य और रणनीतिक तैयारियों को लेकर शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी मौजूद रहे। इस बैठक की जो तस्वीर सामने आई है, उसने सिर्फ एक रणनीतिक संदेश नहीं दिया, बल्कि पूरे देश को यह भरोसा भी दिलाया कि भारत की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और नेतृत्व पूरी तरह सतर्क है।
बंद कमरे में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक की तस्वीर में जितने अधिकारी दिखे, उतना ही मजबूत उनका आत्मविश्वास भी झलकता है। तस्वीर में कोई उत्तेजना नहीं, कोई हड़बड़ाहट नहीं बल्कि हल्की मुस्कान के साथ संयम और गंभीरता का अद्भुत संतुलन दिखाई दिया। यही भाव भारत की रणनीतिक स्थिरता, आत्मनिर्भर सैन्य क्षमताओं और नेतृत्व की परिपक्वता को दर्शाता है। यह तस्वीर साफ कहती है कि भारत किसी भी परिस्थिति से निपटने को पूरी तरह तैयार है—और इसमें न तो आत्मश्लाघा है, न ही डराने की कोशिश, बल्कि यह संयम और सशक्त आत्मविश्वास का प्रतीक है।
बैठक करीब दो घंटे चली और इसमें हर सैन्य अंग की स्थिति, जवाबी कार्रवाई और आगे की रणनीति पर गंभीर चर्चा हुई। थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने पाकिस्तान की हरकतों और सीमा पर मौजूदा हालात की जानकारी दी, जबकि वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने दुश्मन के ड्रोन और मिसाइल हमलों पर वायुसेना की त्वरित प्रतिक्रिया का ब्योरा साझा किया। वहीं, नौसेना प्रमुख और सीडीएस ने समन्वयित कार्रवाई और भविष्य की तैयारियों पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
इस बैठक ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी यह स्पष्ट कर दिया कि भारत केवल कूटनीतिक मंचों पर ही नहीं, बल्कि जमीन, समुद्र और आकाश में भी पूरी मजबूती से खड़ा है। पाकिस्तान की ओर से की गई हर नापाक कोशिश को भारत ने न सिर्फ नाकाम किया, बल्कि उसका कड़ा जवाब देने का स्पष्ट संकेत भी दिया। यह रणनीतिक बैठक सिर्फ एक अंदरूनी समन्वय का जरिया नहीं थी, बल्कि यह एक ‘पॉवर स्टेटमेंट’ थी—जो दुश्मन को चेतावनी और देशवासियों को आश्वस्ति देती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में हुई यह बैठक एक बार फिर इस बात की गवाही बन गई कि भारत न केवल अपनी सीमाओं की सुरक्षा के प्रति सजग है, बल्कि किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम भी है। भारतीय सेना के भीतर का यह आत्मविश्वास, सरकार की स्पष्ट नीति और त्रि-सेनाओं के समन्वय ने देश को एक बार फिर गौरव का क्षण दिया है—एक ऐसा क्षण जब पूरी दुनिया ने देखा कि भारत ‘शांति चाहता है, लेकिन कमजोरी नहीं।’
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