बिना विलंब शुरू हो जातिगत जनगणना की प्रक्रिया, संसद में भी हो बहस: CWC बैठक में रखी गई मांग
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (02 मई 2025): जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निर्णायक दबाव बनाते हुए शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। प्रस्ताव में सरकार से जाति जनगणना की प्रक्रिया में बिना देरी के तेजी लाने और इसे पारदर्शी व सहभागी बनाने की मांग की गई। कांग्रेस ने कहा कि 11 वर्षों तक लगातार विरोध के बाद अब मोदी सरकार को झुकना पड़ा और कांग्रेस की मांग स्वीकार करनी पड़ी है।
बैठक में कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि सरकार ने अब तक यह नहीं बताया कि वह जातिगत जनगणना की दिशा में क्या कदम उठाएगी, न ही इसके लिए कोई वित्तीय प्रावधान किया गया है। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री को खरगे द्वारा 16 अप्रैल 2023 को भेजे गए पत्र में स्पष्ट रूप से जाति जनगणना की मांग की गई थी, साथ ही आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा हटाने की भी बात उठाई गई थी। पार्टी ने राहुल गांधी को जाति जनगणना के लिए सबसे मजबूत और लगातार आवाज़ बताया।
प्रस्ताव में संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तात्कालिक क्रियान्वयन की भी मांग की गई, जिससे निजी शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी, दलितों और आदिवासियों को आरक्षण मिल सके। कांग्रेस का कहना है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी समुदायों को समान रूप से मिलनी चाहिए, चाहे वह सार्वजनिक संस्थान हो या निजी। पार्टी ने यह भी कहा कि जातिगत आंकड़े सामाजिक न्याय की नीतियों की रीढ़ हैं और इन पर ठोस नीतिगत निर्णय आधारित होने चाहिए।
कांग्रेस कार्यसमिति ने तेलंगाना सरकार के जाति जनगणना मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की मांग करते हुए इसे एक आदर्श दृष्टांत बताया। पार्टी ने कहा कि यदि केंद्र सरकार ईमानदारी से जातिगत जनगणना कराना चाहती है, तो उसे तेलंगाना का उदाहरण अपनाना चाहिए। साथ ही संसद में इस मुद्दे पर तत्काल बहस कराए जाने की जरूरत भी बताई गई।
भूतपूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि बिना सही जानकारी के नीतियां नहीं बन सकतीं। बजट और योजनाएं तभी सार्थक होंगी जब सरकार को यह स्पष्ट हो कि कौन-सा वर्ग किन परिस्थितियों में रह रहा है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना से ही सामाजिक और आर्थिक असमानताओं की स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इसे आंकड़े इकट्ठा करने की कवायद से ज्यादा सामाजिक न्याय की नींव बताया। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की वर्षों पुरानी मांग है, जिसे अब जनता के दबाव और राहुल गांधी की आवाज के कारण सरकार ने मानने की स्थिति में आकर स्वीकारा है। चरणजीत सिंह चन्नी ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा कि अधिकार तभी मिलेगा जब सही आंकड़े होंगे।
कांग्रेस सांसद सप्तगिरी उलाका और संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने भी सरकार के यू-टर्न को उजागर किया। उलाका ने पूर्वोत्तर और आदिवासी समाज की बेहतरी के लिए सटीक आंकड़ों की जरूरत बताई, जबकि रमेश ने कहा कि सरकार ने पहले कांग्रेस की मांग की आलोचना की, लेकिन अब वही काम करने को मजबूर हो गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस केवल आंकड़े नहीं, समावेशी नीति की मांग कर रही है और जातिगत जनगणना इसका आधार बनेगी।
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