सावरकर पर टिप्पणी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी को लगाई फटकार!

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (25 अप्रैल 2025): वीर सावरकर पर विवादित टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से सख्त फटकार मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी को चेतावनी दी कि इस तरह के बयान भविष्य में स्वीकार्य नहीं होंगे। अदालत ने टिप्पणी को गैरजिम्मेदाराना करार देते हुए कहा कि “इस बार सावरकर हैं, अगली बार कोई कहेगा कि महात्मा गांधी अंग्रेजों के नौकर थे।” न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने राहुल को आगे कोई अपमानजनक टिप्पणी न करने की सलाह दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में सावरकर की पूजा होती है और ऐसे बयानों से लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि इस तरह की बयानबाजी जारी रही तो वह स्वतः संज्ञान लेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया जिसमें राहुल को समन जारी किया गया था।

यह मामला 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र में दिए गए एक बयान से जुड़ा है। राहुल ने उस समय सावरकर को “अंग्रेजों का नौकर” बताते हुए यह भी कहा था कि वे अंग्रेजों से पेंशन लेते थे। इस बयान को लेकर देशभर में विवाद खड़ा हो गया और विभिन्न संगठनों ने इसे वीर सावरकर का अपमान बताया। इस टिप्पणी के खिलाफ अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे द्वारा अदालत में शिकायत दर्ज कराई गई थी। मामला लखनऊ की अदालत में दर्ज हुआ और राहुल गांधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153(A) और 505 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद निचली अदालत ने राहुल को समन जारी किया था। राहुल ने इस समन को रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था।

हालांकि, 4 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी को राहत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है और समन आदेश को रद्द करने का कोई आधार नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के निर्णय पर कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई है और राहुल को भविष्य के लिए चेतावनी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि यदि इस तरह की टिप्पणियों का सिलसिला नहीं रुका तो वह स्वतः संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई कर सकती है। राहुल गांधी के लिए यह कानूनी और राजनीतिक दोनों ही मोर्चों पर बड़ा झटका माना जा रहा है।।


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