प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस को लेकर आतिशी ने सीएम रेखा गुप्ता को लिखा पत्र

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (07 अप्रैल, 2025): दिल्ली में एक बार फिर प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने को लेकर अभिभावकों में रोष देखा जा रहा है। कई स्कूलों ने बिना किसी स्पष्ट कारण के फीस में 10 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है, जिससे अभिभावक हताश और परेशान हैं। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष की नेता आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

अपने पत्र में आतिशी ने साफ तौर पर कहा है कि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली बच्चों और माता-पिता के लिए अपमानजनक और मानसिक प्रताड़ना का कारण बन रही है। उन्होंने लिखा है कि पहले अभिभावकों को फीस वृद्धि की चिट्ठी भेजी जाती है और फिर धमकी दी जाती है कि अगर समय पर फीस जमा नहीं हुई, तो बच्चों को क्लास में बैठने नहीं दिया जाएगा।

आतिशी ने अपने पत्र में उदाहरण देते हुए बताया कि लांसर कॉन्वेंट स्कूल ने 30% फीस बढ़ोतरी की है, सलवान पब्लिक स्कूल ने 18%, और सेंट एंजल्स स्कूल ने 11% की बढ़ोतरी की है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 10 वर्षों में केजरीवाल सरकार के शासन में एक भी स्कूल को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई थी। हर उस स्कूल का ऑडिट CAG द्वारा कराए गए थे जो फीस बढ़ाना चाहता था।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के दो महीने के भीतर ही शिक्षा को व्यापार बना दिया गया है और प्राइवेट स्कूलों को खुली छूट दे दी गई है। उन्होंने इसे “एजुकेशन माफिया” को खुला समर्थन करार दिया है।

आतिशी ने मुख्यमंत्री को तीन अहम मांगें भेजी हैं:

1. तुरंत आदेश दिया जाए कि जब तक स्कूलों का ऑडिट नहीं होता, कोई भी स्कूल बढ़ी हुई फीस अभिभावकों से न वसूले।

2. सभी स्कूलों के अकाउंट्स का ऑडिट CAG द्वारा समयबद्ध तरीके से कराया जाए।

3. यदि किसी स्कूल को वास्तव में खर्चे बढ़े हैं तो सिर्फ उन्हीं मामलों में 1-2% तक की फीस बढ़ोतरी को ही अनुमति दी जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया, तो इसका मतलब यह होगा कि भाजपा सरकार शिक्षा माफिया के साथ खड़ी है, न कि दिल्ली के लाखों अभिभावकों के साथ।

फिलहाल, प्राइवेट स्कूलों के बाहर कई स्थानों पर अभिभावकों द्वारा विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिल रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है।

अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाती हैं। क्या सरकार अभिभावकों के साथ खड़ी होती है या प्राइवेट स्कूलों के पक्ष में चुप्पी साधे रखती है—यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।


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