नई दिल्ली (06 अप्रैल 2025): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित एक नई व्यापक टैरिफ योजना ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। 2 अप्रैल को ‘मुक्ति दिवस’ घोषित करते हुए ट्रंप ने ऐलान किया कि अमेरिका अब सभी देशों पर आयात शुल्क यानी टैरिफ लगाएगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति में आमूलचूल परिवर्तन आएगा। अब तक अमेरिका केवल उन देशों को निशाना बनाता था जो अमेरिकी वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाते थे या जिनके साथ व्यापार घाटा था। लेकिन अब यह नई नीति सार्वभौमिक रूप से लागू होगी और सभी देशों को प्रभावित करेगी।
टैरिफ, यानी आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर, आमतौर पर घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और सरकारी राजस्व बढ़ाने के लिए लगाया जाता है। ट्रंप का मानना है कि यह नीति अमेरिका के 1.2 ट्रिलियन डॉलर के व्यापार घाटे को कम करेगी, आयातित वस्तुओं की मांग घटाएगी और अमेरिका में विनिर्माण नौकरियों को बढ़ावा देगी। ट्रंप के अनुसार, अमेरिका की तुलना में अन्य देश अमेरिकी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाते हैं, जिससे अमेरिकी उद्योग और श्रमिकों को नुकसान होता है।
भारत के संदर्भ में देखा जाए तो अमेरिका उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 18%, आयात में 6.22% और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73% रही है। वर्ष 2023-24 में भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष 35.32 अरब डॉलर रहा, जो लगातार बढ़ता गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका समान रूप से सभी उत्पादों पर टैरिफ लगाता है, तो भारत पर औसतन 4.9% का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। वर्तमान में भारत, अमेरिकी वस्तुओं पर औसतन 7.7% टैरिफ लगाता है जबकि अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर केवल 2.8% शुल्क लेता है। यदि अमेरिका उत्पाद आधारित टैरिफ नीति अपनाता है, तो कृषि उत्पादों पर 32.4% और औद्योगिक उत्पादों पर 3.3% अतिरिक्त शुल्क लगेगा।
कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा असर मछली, मांस और समुद्री उत्पादों पर पड़ेगा, जिनके 2.58 अरब डॉलर के निर्यात पर 27.83% टैरिफ का अंतर सामने आएगा। झींगा जैसे प्रमुख उत्पाद की प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी। खाद्य सामग्री, कोको और कन्फेक्शनरी पर 24.99%, और मसाले व चावल जैसे उत्पादों पर 5.72% टैरिफ अंतर का असर होगा।
औद्योगिक क्षेत्र में फार्मास्यूटिकल्स पर 10.9%, हीरे-स्वर्ण-आभूषणों पर 13.32%, इलेक्ट्रॉनिक्स पर 7.24%, मशीनरी और कंप्यूटर पर 5.29%, रसायनों पर 6.5%, और वस्त्र व कालीनों पर 6.59% तक की वृद्धि संभावित है। इससे भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे निर्यात प्रभावित होगा।
टैरिफ अंतर का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों में अलग तरह से पड़ेगा, जैसे रसायन और फार्मास्यूटिकल्स पर 8.6%, प्लास्टिक पर 5.6%, वस्त्रों पर 1.4%, मशीनरी पर 5.3%, और ऑटोमोबाइल व उसके पुर्जों पर 23.5% का टैरिफ अंतर दिखता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जिन क्षेत्रों में टैरिफ अंतर अधिक है, वे अधिक प्रभावित होंगे।
विश्लेषकों के अनुसार यदि अमेरिका निष्पक्ष व्यापार नीति अपनाता है, तो भारत के लिए नुकसान सीमित हो सकता है। लेकिन अगर अमेरिका आक्रामक टैरिफ नीति पर अड़ा रहता है, तो भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को नुकसान झेलना पड़ेगा और भारत को अपनी व्यापार रणनीति में पुनर्विचार करना होगा।
रंजन अभिषेक, नई दिल्ली
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