सेना पर टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई फटकार

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (04/08/2025): कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को भारत-चीन सीमा विवाद पर की गई टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से कड़ी फटकार मिली है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सवाल उठाते हुए पूछा कि राहुल गांधी को कैसे यह जानकारी मिली कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया? न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा, “क्या आप वहां थे? आपके पास क्या सबूत हैं?” कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यदि आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसी गैर-जिम्मेदाराना बातें नहीं कह सकते।

भारत जोड़ी यात्रा के दौरान दिया था विवादित बयान

यह मामला राहुल गांधी की 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिए गए एक बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों को पीट रहे हैं।” इस बयान को लेकर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज करवाया था। शिकायतकर्ता ने कहा कि राहुल का बयान भारतीय सेना के मनोबल को ठेस पहुंचाने वाला है और यह सेना का अपमान है।

सेना के पूर्व अधिकारी ने दायर किया मानहानि का केस

श्रीवास्तव ने अपनी शिकायत में दावा किया कि 12 दिसंबर 2022 को भारतीय सेना ने आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया था कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब देकर पीछे हटने पर मजबूर किया। इसके बावजूद राहुल गांधी ने झूठे तथ्यों पर आधारित बयान दिया, जिससे देश की सुरक्षा एजेंसियों और जवानों की छवि को नुकसान पहुंचा। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सिर्फ सेना नहीं, बल्कि देश के हर उस नागरिक का अपमान है जो सैनिकों का सम्मान करता है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट भी लगा चुकी है फटकार

राहुल गांधी ने इस मुकदमे को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि कोई भी व्यक्ति जो सेना का सम्मान करता हो, वह ऐसे बयान से आहत हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी कहने की छूट नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां सोमवार को सुनवाई हुई।

संसद में क्यों नहीं उठाया मुद्दा?

सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि निचली अदालत ने उनके मुवक्किल का पक्ष सुने बिना संज्ञान ले लिया। लेकिन इस पर न्यायमूर्ति दत्ता ने टोकते हुए कहा कि यह दलील तो हाई कोर्ट में दी ही नहीं गई थी। सिंघवी ने स्वीकार किया कि यह बात हाई कोर्ट में नहीं रखी गई थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि राहुल गांधी ने एक जिम्मेदार विपक्ष के नेता के रूप में यह मामला संसद में क्यों नहीं उठाया और उसे सोशल मीडिया पर क्यों उछाला?

सितम्बर में होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने साफ किया है कि इस मामले की अगली सुनवाई सितंबर में की जाएगी। हालांकि, कोर्ट की ओर से यह भी संकेत दिया गया कि संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर सार्वजनिक बयानों में संयम आवश्यक है। इस पूरी सुनवाई ने एक बार फिर नेताओं के सार्वजनिक वक्तव्यों की सीमा और जिम्मेदारी को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है।


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