भारत ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’: पीएम मोदी ने लोकतंत्र के गौरवशाली अतीत को किया सलाम
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (14 दिसंबर 2024): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में भारत को ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ के रूप में संबोधित करते हुए देश के लोकतांत्रिक इतिहास और इसकी समृद्ध परंपराओं पर प्रकाश डाला। यह चर्चा संसद में ‘संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ के तहत हुई। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि भारत केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र ही नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का गणतांत्रिक अतीत न केवल समृद्ध रहा है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
पीएम मोदी ने संविधान सभा की ऐतिहासिक चर्चा का उल्लेख करते हुए तीन महापुरुषों के विचार प्रस्तुत किए:
1. राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ने संविधान सभा में कहा था कि यह सभा हमें उस गौरवशाली अतीत की याद दिलाती है, जब भारत स्वतंत्र था और विद्वानों के विचार-विमर्श से देश के महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लिए जाते थे।
2. डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि गणतांत्रिक व्यवस्था भारत के लिए नई नहीं है। यह परंपरा यहां इतिहास की शुरुआत से ही मौजूद रही है।
3. डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपने वक्तव्य में कहा था कि भारत लोकतंत्र को हमेशा से जानता था। एक समय था जब भारत में कई गणतंत्र थे।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत आज विश्व में तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा रहा है।
यह चर्चा न केवल भारत के लोकतांत्रिक अतीत को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे भारतीय संविधान और उसकी जड़ें देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भों में गहराई से जुड़ी हैं।
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