विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की ऐतिहासिक प्रगति पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद डॉ. महेश शर्मा का विश्लेषण

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (11 दिसंबर 2024): नोएडा के कैलाश अस्पताल, सेक्टर-27 में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री और गौतमबुद्ध नगर के सांसद एवं वरिष्ठ नेता डॉ. महेश शर्मा ने 2014 से 2024 के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक प्रगति पर चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों में हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियों को उजागर किया।

डॉ. शर्मा ने बताया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के प्रयासों ने देश में विज्ञान और नवाचार को नई दिशा दी है। CSIR के एरोमा मिशन और फ्लोरीकल्चर मिशन ने किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है। ‘गांव का पानी गांव में’ जैसे मिशन ने ग्रामीण जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अलावा, स्वदेशी बायो-जेट ईंधन, हाइड्रोजन ईंधन सेल बस और ई-ट्रैक्टर जैसी तकनीकी उपलब्धियां भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूती प्रदान करती हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान, CSIR ने वैक्सीन निर्माण और अनुसंधान में सराहनीय योगदान दिया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि नेशनल क्वांटम मिशन, राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन, और INSPIRE-MANAK जैसी योजनाओं ने विज्ञान में नए मानदंड स्थापित किए हैं। जियोस्पैटियल मानचित्रण और आदित्य-L1 मिशन ने भारत को वैश्विक स्तर पर विज्ञान अनुसंधान में अग्रणी स्थान दिलाया है। महिला विज्ञान कार्यक्रम और INSPIRE-SHE जैसी पहलों ने विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और छात्रों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया है।

परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में, कुडनकुलम और काकरापार जैसे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों ने ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया है। स्वास्थ्य सेवाओं में रेडियोफार्मास्युटिकल उत्पादों का विकास और TMC अस्पतालों का विस्तार उल्लेखनीय है। कृषि उत्पादों के विकिरण प्रसंस्करण, भाभा कवच और SHESHA जैसी तकनीकों ने कृषि, सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, भारत ने CERVAVAC और ROTAVAC जैसे टीकों का विकास कर वैश्विक आत्मनिर्भरता को साबित किया है। भारतीय जैविक डेटा सेंटर की स्थापना और जैव प्रौद्योगिकी उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली नीतियों ने इस क्षेत्र को और मजबूत किया है।

डॉ. महेश शर्मा ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि PSLV-C37 ने एक साथ 104 उपग्रहों को लॉन्च कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 ने अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की स्थिति को और मजबूत किया। गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन और आदित्य-L1 मिशन ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत को वैश्विक नेतृत्व प्रदान किया है। RLV-TD और SSLV-D2 जैसी प्रौद्योगिकियां भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए नई संभावनाएं पैदा कर रही हैं।

डॉ. शर्मा ने जोर देकर कहा कि 2047 तक भारत अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने की ओर अग्रसर है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण, चंद्रयान-4 और शुक्र ग्रह पर मिशन जैसी योजनाएं भारत के अंतरिक्ष दृष्टिकोण को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के समापन पर डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि 2014-2024 के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की असाधारण प्रगति न केवल देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि इन उपलब्धियों से न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान में क्रांति आई है, बल्कि इनसे देश के विकास और आम नागरिकों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव हुआ है।

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