बदलते समय में व्यक्तित्व का आंकलन : डॉ. अलका अग्रवाल

मनुष्य जीवन की विडम्बना जब तक आपका समय ठीक, आपके सितारे बुलन्द, उगते सूरज का आप पर आशीर्वाद, आपकी प्रशंसा चरम सीमा पर, सबके दिलों पर आप राज करते हैं। आपके हर कृत्य में सबको कुछ खूबी नजर आती है। आपकी योग्यता का सब गुणगान करते हैं। हर दिल की आप धड़कन होते हैं। आपकी तारीफों के पुल बांधते हुए लोग थकते नहीं हैं। लगता है सिर्फ एक आप ही हैं जिनसे सम्बन्ध बढ़ाकर आप अपने आपको खुशनसीब समझते हैं। आप किसी के साथ बैंठें, उन्हें उसमें अपना बड़प्पन महसूस होता है। उनका साथ आपके जीवन में चार चांद लगा देता है। लेकिन अनायास ही समय के करवट बदलते ही सब कुछ बदल जाता है। लोगों का रवैया बदल जाता है। आपकी खूबियां और आपकी योग्यता एकाएक कहीं गायब हो जाती है। जो कभी आपकी तारीफ करते नहीं थकते थे अब उनको आपमें कमियां ही कमियां नजर आती हैं। लगता है आपमें कुछ है ही नहीं। आप आज जो कुछ भी हैं अपनी काबिलियत से नहीं बल्कि किसी के रहमोकरम से हैं। आपकी योग्यता और आपके कार्य-कौशल को लोग ऐसे नकार देते हैं जैसे अब तक जो आप थे और जो आपको समझा जा रहा था वह उनकी गलती थी। उन्होंने आपको जो समझा वह आप कभी थे ही नहीं। वह तो सिर्फ उनकी ऑंखों और सोच का भ्रम था। हर बात में आपको ताने देना और आपको नीचा दिखाना ही उनका सिर्फ एक मकसद रह जाता है। ये ही नहीं बल्कि आपके द्वारा किये गये ऐसे कार्य जिनके बिना उनके जीवन की कल्पना भी असम्भव है उनको भी इतनी आसानी से नकार देना! यह है अच्छे और बुरे समय का प्रभाव। समय अच्छा तो आप बहुत अच्छे, आपका समय खराब तो आपसे बुरा कोई नहीं। और उससे भी बड़ी बात बुरे समय के भी जिम्मेदार आप स्वयं। आप ही के द्वारा कुछ ऐसा किया गया जिससे यह दिन देखना पड़ रहा है। अपने और किसी के भी अच्छे के लिये आप कभी जिम्मेदार नहीं माने जाते, लेकिन हर गलत चीज की जिम्मेदारी स्वयं आपकी, चाहे बहुत यत्न करके भी आप उसे ठीक करने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं पर आपकी सारी कोशिशें नाकामयाब। क्योंकि किसी का सहयोग आपको नहीं, सिर्फ ताने और आपके हर काम में अड़चन बनना और आपको नीचा दिखाना। दूसरों के व्यवहार का आपके जीवन पर कितना प्रभाव पड़ता है इसका अन्दाजा भी आपको वक्त ही कराता है। वक्त अच्छा, तो सबकी बातें अच्छी, आप अच्छे और आपका जीवन खुशहाल। वक्त खराब तो आपकी हर बात खराब और आपके जीवन में उदासी और मायूसी। बदलते वक्त में इन्सान कितना मज़बूर हो जाता है। लगता है यही जीवन की सत्यता है। फिर भी समय चाहे जैसा हो, समय बदलता है, परिस्थितियाँ बदलती है,ं और ये चक्र सदैव चलता है और चलता रहेगा। इससे न तो बहुत ज्यादा खुश होने की जरूरत है और न ही बहुत ज्यादा उदास होने की आवश्यकता है। बस हमें गतिशील बने रहना है और अपने लक्ष्य की ओर सदैव अग्रसित होते रहना है। जीत-हार, सफलता और असफलता सिक्के के दो पहलू हैं, कभी चित तो कभी पट। हताश होकर हिम्मत हारना कायरता है बल्कि इन्सान के लिये यह समझना आवश्यक है कि ग्रह, वक्त की सुइयाँ, नक्षत्र, किस्मत सब अपनी जगह काम करते हैं और सदैव करते रहेंगे। हमें भी इसके साथ अधिक सुदृढ़ बनना है और अधिक लगन और मेहनत का परिचय देना है। हर मुश्किल का सामना करते हुए अधिक परिश्रम और बुद्धिमता से अपने कार्यों को अन्जाम देना है, ताकि जीवन में कभी निराश न होना पड़े। किसी ने सच ही कहा है कि मेहनत एक न एक दिन रंग जरूर लाती है। आपको वह सब मिलता है जो आप अपने जीवन में हासिल करना चाहते हैं। वक्त बहुत बलवान है और सभी को जो इस जीवन में आया है और थोड़ा बहुत भी अपने, अपने परिवार, अपने समाज और अपने राष्ट्र के लिये कर पा रहा है, उसका शुक्रगुजार होना चाहिए। इन्सान वही है जो वक्त के थपेड़ों से घबराये नहीं और अविचल खड़ा रहे। अपने पुरुषार्थ में कोई कमी न रखे। पूरी शिद्दत से अपने कार्यों को अन्जाम दे। कामयाबी उसके कदम अवश्य चूमेगी। लेकिन हाँ इसमें एक बात ज़रूरी है और वह है ईमानदारी और सत्यता। अपने कार्य को अन्ज़ाम देने के लिये ईमानदारी का रास्ता चुनें। बिना किसी को कष्ट पहुँचाये और बिना किसी की मजबूरी का फायदा उठाये जो भी कार्य करें, पूरे कौशल और ईमानदारी से करें। अगर सच्चे हैं, आपका मन साफ है तो देर-सवेर आप अपनी मंजिल पा ही लेंगे। बशर्ते आप निराश व हताश न हों। किसी ने ठीक कहा कि बदलते वक्त में परिभाषाएँ बदलती हैं, पर आपके नेक और दृढ़ इरादे कभी आपको नीचे नहीं गिरने देंगे। आपकी ढाल बनकर, आपकी सीढ़ी बनकर आपको ऊँचाइयों पर अवश्य ले आएंगे। कभी कमजोर मत बनिए। आपको किसी के सहारे की जरूरत नहीं है, बल्कि आप किसी का सहारा बनें, इतनी दृढ़ता अपने अन्दर जरूर लाइए।


Discover more from टेन न्यूज हिंदी

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

टिप्पणियाँ बंद हैं।